इस साल जहां कई राज्यों में चुनाव होना है वहीं अगले साल देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होना है। लेकिन पार्टी अभी तक प्रदेश के लिए न तो कोई बड़ा चेहरा तलाश पाई है और न ही प्रभारी के रुप में मधूसूदन मिस्त्री का विकल्प। सूबे के कांग्रेसी नेताओं की मायूसी यह है कि पार्टी को अगर गठबंधन करके चुनाव लडऩा है तो इस रणनीति का भी खुलासा कर दे ताकि टिकट की उक्वमीद लगाए बैठे उक्वमीदवार चुपचाप बैठ जाए। असमंजस के कारण नेताओं ने सक्रियता भी कम कर दी है।
कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की मायूसी
कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कितनी गंभीर दिख रही है इसका अंदाजा पार्टी की रणनीति से लगाया जा सकता है।

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