लेकिन इसे वर्षों से अध्यक्ष रहे शरद यादव की कमजोरी न समझा जाए। 2019 से पहले 2018 में यादव को बड़े मोर्चे का सामना करना पड़ सकता है। 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के किसी कट्टरपंथी नेता के उम्मीदवार के मुकाबले जनता दल (यू) के साथ कांग्रेस, सपा, कम्युनिस्ट पार्टियों और कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के लिए स्वीकार हो सकने वाला नाम शरद यादव का हो सकता है।
नीतीश से पहले शरद का शक्ति परीक्षण
जनता दल (यू) का अध्यक्ष पद नीतीश कुमार को दिए जाने के साथ यह स्पष्ट हो गया कि वह 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए नए गठबंधन की तैयारी कर प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनें।
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