भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की घोषणा कर दी ताकि अगले 10 वर्षों में हथियारों का आयात 70 प्रतिशत से घटकर 50 प्रतिशत हो जाए। अगले 15 वर्षों में सरकार सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए हथियारों पर लगभग 150 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बना चुकी है। लेकिन विदेशी कंपनियों के लिए सबसे बड़ी रुकावट यह है कि सरकार ने मेक इन इंडिया के तहत बनने वाले हथियारों में से खरीदी की गारंटी और टेक्नोलॉजी के हस्तांतरण पर नियम-शर्तें स्पष्ट नहीं की हैं। इस कारण विदेशी सौदों के लिए लालायित कुछ बड़ी कंपनियों के मुंह भी लटके हुए हैं।
'इंडियन’ हथियारों की बाधा
रक्षा संसाधनों में 'मेक इन इंडिया’ पर गोवा में प्रदर्शनी-भाषण की धूमधाम रही लेकिन भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच सौदों पर सपने अधूरे रह गए।
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