यहां तक कि शेषाद्रिचारी को पहले फोन पर बाद में बाकायदा पत्र लिखकर बायोडाटा भी मंगा लिया गया। लेकिन जब सूची निकली तो उसमें उनका नाम नहीं था और जो नाम भी थे उनमें कुछ का तो पत्रकारिता से कोई सरोकार ही नहीं है। जबकि कहा यह जा रहा है कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद संघ से जुड़े लोगों को विभिन्न पदों पर नियुक्तियों में प्राथमिकता दी जाएगी। आखिर ऐसी नियुक्तियों में किसका वश चलता है प्रसार भारती, सूचना प्रसारण मंत्रालय या फिर प्रधानमंत्री कार्यालय का।
पास रहकर भी दूर हैं 'बंधु’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर के पूर्व संपादक शेषाद्रिचारी का संघ से पुराना नाता है। प्रसार भारती बोर्ड के लिए जब सदस्यों का चयन किया जाना था तो शेषाद्रिचारी का नाम भी सुर्खियों में आया।

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