राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत एक अमर राष्ट्र है जिसमें नैतिकता का एक अनूठा सार है जो शांति लाता है और दुनिया के हर देश को एकजुट करता है।
भागवत सोमवार को यहां महाराष्ट्र के एक मंदिर में धार्मिक प्रवचन में बोल रहे थे।
स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र का एक विशिष्ट उद्देश्य होता है।
उन्होंने कहा, "एक राष्ट्र उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए पैदा होता है। राष्ट्र उभरता है और उस विशिष्ट उद्देश्य को पूरा करने के लिए समृद्ध होता है। यह तब इतिहास बन जाता है और रोमन साम्राज्य की तरह सूख जाता है।"
उन्होंने आगे कहा, "लेकिन, हमारे देश का उद्देश्य ऐसा है कि यह अमर है। हमारे पास 'धर्मतत्व' (नैतिकता) का सार है जो दुनिया में सभी के जीवन को संतुलित करता है, शांति लाता है और सभी को एकजुट करता है।"
भागवत ने कहा कि भारत में अद्वितीय "धर्मत्व" है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना लोगों, समूहों और प्रकृति को मानव विकास के साथ उचित रूप में रखता है। नैतिकता की यह भावना देखती है कि लोग अच्छे बनते हैं और वे (दानव राजा) रावण और (जर्मन तानाशाह) हिटलर को जन्म नहीं देते हैं।