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जद(यू) ने ‘एक देश, एक चुनाव’ का समर्थन किया

जनता दल (यूनाईटेड) ने सोमवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ का समर्थन किया और कहा कि इससे नीतियों में निरंतरता...
जद(यू) ने ‘एक देश, एक चुनाव’ का समर्थन किया

जनता दल (यूनाईटेड) ने सोमवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ का समर्थन किया और कहा कि इससे नीतियों में निरंतरता बनी रहेगी तथा बार-बार चुनाव से होने वाली परेशानियों से भी बचा जा सकेगा।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रमुख सहयोगी का यह बयान ऐसे समय आया है जब सरकार के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत मौजूदा सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही ‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करेगी।

सूत्र ने यह भरोसा भी जताया कि इस सुधार को सभी दलों का समर्थन मिलेगा।

जद (यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने एक वीडियो जारी कर कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ पर उनकी पार्टी और राजग की राय एक समान है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम यह मानते हैं कि इससे देश में नीतियों की निरंतरता जारी रहेगी। बार-बार होने वाले चुनाव से विकास की योजनाओं की गति अवरूद्ध होती है और अन्य परेशानियां भी आती हैं। इनसे निजात मिलेगी।’’

प्रसाद ने कहा कि इससे मतदाता भी बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर आएंगे और विकास के कार्य भी निर्बाध गति से जारी रहेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘विकास की योजनाओं को लेकर केंद्र सरकार के जो फैसले हैं, उनका क्रियान्वयन बेहतर तरीके से किया जा सकेगा।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर एक सूत्र ने यह भी बताया कि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर एकजुटता शेष कार्यकाल में भी बनी रहेगी।

भाजपा और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के बाद जद (यू) राजग का तीसरा सबसे बड़ा घटक दल है।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने इस साल मार्च में पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। समिति ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की भी सिफारिश की।

कोविंद नीत समिति ने एक साथ चुनाव कराने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की। उसने 18 संवैधानिक संशोधन करने की सिफारिश की जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ‘एक देश, एक चुनाव’ की जोरदार वकालत की है। पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रही है।

हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा जारी चुनाव घोषणापत्र में उसने ‘एक देश, एक चुनाव’ को प्रमुख वादों के रूप में शामिल किया था।

 

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