बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को एक और बड़ा झटका लगा है। पार्टी के छह में से पांच सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सदन में अलग गुट के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया है। माना जा रहा है कि ये सांसद सत्तारूढ़ जेडीयू में शामिल हो जाएंगे।
इन पांचों सांसदों का नेतृत्व रामविलास पासवान के छोटे भाई और हाजीपुर के सांसद पशुपति नाथ पारस कर रहे हैं। पार्टी सांसदों का यह कदम लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान के लिए बड़ा झटका है। पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान की मौत के एक साल के अंदर ही पार्टी दो-फाड़ हो गई है। बताया जाता है कि चिराग पासवान से नाराज सांसद एवं उनके चचेरे भाई प्रिंस कुमार, चंदन कुमार, वीणा देवी और महबूब अली कैसर ने उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना नेता मान लिया है।
पांचों बागी सांसदों पशुपति पारस, प्रिंस पासवान, वीणा सिंह, चंदन कुमार और महबूब अली कैसर के जेडीयू में शामिल होने की भी चर्चा है। ऐसे में लोकसभा में चिराग अकेले पड़ जाएंगे।
बता दें कि इससे पहले बिहार विधानसभा चुनाव में 143 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली लोजपा महज एक सीट जीत पाई थी। लेकिन महिटानी के अपने विधायक रामकुमार शर्मा को भी चिराग पासवान सहेज नहीं सके और वह जेडीयू में शामिल हो गए। इसके पहले चुनाव नतीजों के बाद कई जिलाध्यक्ष सहित दो सौ से अधिक नेता एलजेपी छोड़कर जेडीयू में शामिल हो गए थे। विधानसभा चुनाव के पहले भी पार्टी के सांसदों में टूट की बात सामने आई थी। उस समय भी बागी सांसदों का नेतृत्व पशुपति कुमार पारस ही कर रहे थे। हालांकि, बाद में अपने लेटर हेड पर इन चर्चाओं का खंडन कर पारस ने अटकलों पर विराम लगा दिया था। लेकिन हालिया घटना चिराग के राजनीतिक भविष्य के लिए बड़ा झटका है।