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महाराष्ट्र संकट: 16 विधायकों को नोटिस मिलने से शिंदे खेमे में हलचल, गुवाहाटी में आज फिर बैठक

महाराष्ट्र सियासी संकट के बीच गुवाहाटी में डेरा डाले एकनाथ शिंदे ने रविवार को फिर बागी विधायकों की एक...
महाराष्ट्र संकट: 16 विधायकों को नोटिस मिलने से शिंदे खेमे में हलचल, गुवाहाटी में आज फिर बैठक

महाराष्ट्र सियासी संकट के बीच गुवाहाटी में डेरा डाले एकनाथ शिंदे ने रविवार को फिर बागी विधायकों की एक बैठक बुलाई है। इससे पहले शनिवार को भी बागी विधायकों की एक बैठक हुई थी।

एएनआई के सूत्रों के मुताबिक, बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे आज बुलाई गई बैठक में आगे की रणनीति को लेकर विधायकों से चर्चा करेंगे। यह बैठक ऐसे वक्त में हो रहा है जब 16 विधायकों को डिप्टी स्पीकर ने नोटिस दिया है।

वहीं शनिवार रात एकनाथ शिंदे और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात होने की भी चर्चा है। दोनों नेताओं की मुलाकात किन मुद्दों पर हुई और उसका परिणाम क्या रहा, ये सामने नहीं आया है।


पिछले दिनों शिवसेना के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद एकनाथ शिंदे खेमे के बागी विधायकों ने भी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस दौरान शिवसेना द्वारा किए गए हमलों का जवाब दिया गया और यह साफ किया गया कि एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने शिवसेना नहीं छोड़ी है। एकनाथ शिंदे ग्रुप के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि अब तक हमने किसी के भी बाप के नाम पर किसी से भी वोट नहीं मांगा है। शिवसेना के दो तिहाई विधायक हमारे नेता एकनाथ शिंदे गुट में हैं। इसलिए शिवसेना के नाम का इस्तेमाल करने से हमें कोई नहीं रोक सकता।

शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि एकनाथ शिंदे के समर्थक किसी भी पार्टी में विलय करने की नहीं सोच रहे हैं। भाजपा से या किसी भी पार्टी से इस बारे में हमारी कोई बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि विधानसभा उपाध्यक्ष ने जो उनके 16 विधायकों के खिलाफ निलंबन के लिए नोटिस भेजा, उसके खिलाफ शिंदे ग्रुप के विधायक कोर्ट जाएंगे। विधानसभा उपाध्यक्ष को यह करने का कोई हक नहीं है। कानून के तहत हमारी सदस्यता कोई रद्द नहीं कर सकता। शिवसेना के दो तिहाई विधायक हमारे साथ हैं। बिना बहुमत यह निर्णय कैसे किया जा सकता है। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल ने शिंदे गुट के 12 विधायकों के खिलाफ नोटिस जारी कर सोमवार शाम 5.30 बजे तक लिखित जवाब मांगा है और कहा है कि क्यों ना उन्हें विधायिकी के लिए अयोग्य ठहराया जाए।

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