बीबीसी को दिए इंटरव्यू में अखिलेश ने मायावती का बिना नाम लिए कहा है कि नतीजों के बाद जरूरी हुआ तो सरकार बनाने के लिए उनसे भी समर्थन ले सकते हैं। हालांकि अखिलेश ने इस इंटरव्यू में भी भरोसा जताया कि राज्य में सपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। बीबीसी संवाददाता द्वारा बार-बार यह पूछे जाने पर कि अगर त्रिशंकु विधानसभा हुई तो क्या वे मायावती से समर्थन लेंगे, अखिलेश ने कहा कि उन्होंने कभी भी मायावती का अपमान नहीं किया है और उनके साथ उन्होंने एक रिश्ता कायम किया है। हालांकि लगातार पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कोई नहीं चाहता कि भाजपा राष्ट्रपति शासन लगाकर रिमोट कंट्रोल से राज्य को चलाए। इससे बचने के लिए अगर जरूरत हुई तो दूसरों से समर्थन लेंगे।
गौरतलब है कि अतीत में सपा और बसपा के संबंध बेहद कटुतापूर्ण रहे हैं। दूसरी ओर मायावती ने कई बार भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई है। अब अगर अखिलेश यदव मायावती की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाते हैं तो यह यूपी की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होगा क्योंकि चुनाव के दौरान भाजपा, सपा और बसपा तीनों ने ही एक-दूसरे पर बेहद कटु आरोप लगाए हैं। वैसे अखिलेश यादव का यह बयान पांच राज्यों के चुनावों पर कुछ समाचार चैनलों के एक्जिट पोल के प्रसारण के बाद आया जिनमें सपा-कांग्रेस गठबंधन को भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले पिछड़ते हुए दिखाया गया है।