दूसरी ओर राज्य में लगातार तीन बार से सरकार बना रही कांग्रेस को 36 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है जबकि बदरुद्दीन अजमल की पार्टी को 10 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के खाते में 2 सीटें आने का अनुमान है। अगर ऐसा हुआ तो यह भाजपा और उसके अध्यक्ष अमित शाह के लिए बड़ी राहत की खबर हो सकती है जो पहले दिल्ली और उसके बाद बिहार में करारी हार के बाद से एक जीत के लिए तरस रहे हैं। सर्वे का दावा है कि असम में कांग्रेस को 34 प्रतिशत जबकि भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को 44 फीसदी तक वोट मिल सकते हैं। अजमल की पार्टी तथा अन्य को 11-11 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। खास बात यह है कि यहां सीएम पद की पहली पसंद अब भी 39 फीसदी वोटों के साथ तरुण गोगोई ही हैं जबकि भाजपा के सीएम पद के उम्मीदवार सर्वानंद सोनोवाल 29 फीसदी लोगों की पसंद हैं।
वैसे भी अभी जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उनमें से किसी में भी कभी भाजपा की सरकार नहीं रही है। ऐसे में असम में भाजपा की सरकार बनने से पूर्वोत्तर भारत में भाजपा के कदम जमाने में मदद मिल सकती है। अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने कांग्रेस के बागी विधायकों की सरकार बनवा रखी है और वह सरकार का समर्थन कर रही है मगर इस सरकार को भाजपा की सरकार नहीं कहा जा सकता। ऐसे में अगर असम में पार्टी की सरकार बन गई तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के कारण असम में भाजपा को अपने दम पर 14 में से सात सीटें मिली थी और तभी से ऐसी खबरें आ रही हैं कि इस बार असम में सत्ता पलट हो सकता है और भाजपा यहां सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है।