महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा दल बने रहने और शिवसेना के साथ स्पष्ट बहुमत पाने के बावजूद सरकार बनाने से नाकाम रही भाजपा के लिए झारखंड के विधानसभा चुनाव में भी सहयोगी दल मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। इसके सहयोगी दल जनता दल- यूनाइटेड ने विधानसभा चुनाव अलग लड़ने की घोषणा की है। उधर, नाममात्र की सीटों से असंतुष्ट लोक जनशक्ति पार्टी ने अलग चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं।
जदयू अलग चुनाव लड़ेगी
झारखंड में 30 नवंबर से पांच चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे। यहां भाजपा को अपने सबसे पुरानी सहयोगी दलों में से एक जदयू के खिलाफ चुनाव लड़ना होगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पिछले हफ्ते नई दिल्ली में स्पष्ट किया था कि उनकी पार्टी झारखंड में अलग चुनाव लड़ेगी। कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार दूसरे कार्यकाल के लिए अध्यक्ष चुने गए।
भाजपा से कब-कब अलग हुई
जदय के एक नेता ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी, बल्कि झारखंड विधानसभा चुनाव अलग लड़ेगी। जदयू पहले भी कई बार भाजपा को झटका देती रही है। 2013 में जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा के प्रधानमंत्री प्रत्याशी के तौर पर पेश किया गया तो जदयू ने विरोध गिया और गठबंधन से अलग हो गई। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारी हार का सामना करने के बाद जदयू ने लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन किया। तीनों पार्टियों के महागठबंधन विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने में सफल रहा लेकिन जदयू 2017 में अलग हो गई और एनडीए में दोबारा शामिल होकर राज्य में सरकार बना ली।
संबंधों में उतार-चढ़ाव ऐसे भी
इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में जदयू और भाजपा ने बिहार में बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन एनडीए सरकार में सम्मानजनक प्रतिनिधित्व न मिलने के कारण वह केंद्र सरकार में शामिल नहीं हुई। लेकिन केंद्र में झटका खाने के बाद नीतीश कुमार ने राज्य में भी ऐसा ही फॉर्मूला लागू कर दिया। उसने कैबिनेट विस्तार में भाजपा को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। जदयू ने मोदी सरकार को ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर संसद में समर्थन नहीं दिया।
गिनती की सीटें हमें मंजूर नहींः पासवान
भाजपा के दूसरे प्रमुख सहयोगी दल लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा है कि झारखंड में उनकी पार्टी अलग चुनाव लड़ेगी। राज्य की सत्ता में बने रहने के प्रयास में जुटी भाजपा ने 52 सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। लोजपा ने ज्यादा सीटों की मांग की थी। पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी को इस बार प्रतीकात्मक सीटें मंजूर नहीं हैं। कुछ दिनों पहले पासवान ने एनडीए के सहयोगी दल के रूप में चुनाव लड़ने की मंशा जताई थी। लेकिन उन्होंने बताया कि राज्य में गठबंधन के लिए कोई बातचीत नहीं हुई। इसलिए हम अलग चुनाव लड़ने पर सोच रहे हैं। लोजपा की राज्य इकाई ने 37 उन सीटों की सूची भेजी है जिन पर वह चुनाव लड़ना चाहती है। लेकिन सीटों को लेकर भाजपा से कोई बातचीत नहीं हुई।
कभी झामुमो भी थी भाजपा के साथ
भाजपा को राज्य में अपने दूसरे सहयोगी दलों को भी भरोसे में लेने में दिक्कत आ रही है। भाजपा का हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के साथ 2012 तक गठबंधन रहा लेकिन उसने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस से गठबंधन कर लिया।
दूसरी ओर महागठबंधन मजबूती से डटा
जहां भाजपा राज्य में अकेली पड़ गई है, वहीं झामुमो-कांग्रेस और राजद ने महागठबंधन बनाया है। उसने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री प्रत्याशी के तौर पर पेश किया है। झामुमो 43, कांग्रेस 31 और राजद बाकी सात सीटों पर चुनाव लड़ रही है।