Advertisement

दिल्ली चुनाव: AAP सत्ता बरकरार रखने की कोशिश में, भाजपा 26 साल बाद वापसी के लिए प्रयासरत

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने नारे ‘परिवर्तन’ और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर अरविंद केजरीवाल के...
दिल्ली चुनाव: AAP सत्ता बरकरार रखने की कोशिश में, भाजपा 26 साल बाद वापसी के लिए प्रयासरत

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने नारे ‘परिवर्तन’ और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ लक्षित अभियान पर ध्यान केंद्रित करके 26 साल से अधिक समय बाद दिल्ली में सत्ता में आने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

भाजपा दिल्ली में आखिरी बार दो दिसंबर 1993 और तीन दिसंबर, 1998 के बीच सत्ता में थी,जब राष्ट्रीय राजधानी में तीन मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज रहे।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को घोषणा की कि दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान पांच फरवरी को होगा और मतों की गिनती आठ फरवरी को होगी।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप), विपक्षी भाजपा और कांग्रेस के बीच एक रोमांचक त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। दोनों विपक्षी पार्टियां राष्ट्रीय राजधानी में फिर से सत्ता हासिल करना चाहती हैं।

आप अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। पार्टी संयोजक केजरीवाल नयी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जिस पर वह 2013 से काबिज हैं। मुख्यमंत्री आतिशी कालकाजी सीट से फिर से चुनाव लड़ रही हैं।

कांग्रेस ने अब तक 48 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जबकि भाजपा ने केवल 29 उम्मीदवारों की घोषणा की है।

नयी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में केजरीवाल और दिल्ली के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों के बीच दिलचस्प चुनावी मुकाबला होने वाला है। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार प्रवेश वर्मा पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, जबकि कांग्रेस के संदीप दीक्षित तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं दिवंगत शीला दीक्षित के बेटे हैं।

भाजपा नेताओं का मानना है कि 1998 से सत्ता से बाहर रहने के बाद पार्टी के पास वापसी करने के ‘सबसे अच्छे अवसर’ हैं, क्योंकि उन्हें ‘शीश महल’ और ‘शराब घोटाले’ जैसे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की छवि को नुकसान पहुंचने और आप के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर जैसे कारकों पर भरोसा है।

सत्ता बरकरार रखने की कोशिश में लगी आप इस बार के चुनावों को ‘कठिन’ मान रही है। हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि केजरीवाल की अपने वादों को पूरा करने की ‘विश्वसनीयता’ और दिल्ली में पात्र महिलाओं के लिए 2,100 रुपये मासिक मानदेय जैसी चुनावी घोषणाएं पार्टी की जीत सुनिश्चित करेंगी।

 

आप प्रमुख ने कल मंगलवार को पार्टी के चुनाव प्रचार गीत ‘फिर लाएंगे केजरीवाल...’ लॉन्च किया, जिसमें उन्होंने जोर देकर कहा कि दिल्ली के लोग भाजपा की ‘अपमानजनक राजनीति’ के बजाय उनकी पार्टी द्वारा अपनाई गई काम की राजनीति में अपना विश्वास व्यक्त करेंगे।

भाजपा केजरीवाल पर लगातार हमले कर रही है, उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है और पिछले 10 सालों में दिल्ली में स्वच्छ पेयजल, अच्छी सड़कें, बसें, सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा, उचित स्वास्थ्य और शैक्षिक सुविधाएं प्रदान करने में आप सरकार की ‘विफलताओं’ को उठा रही है।

दोनों दल निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं के नाम हटाने और जोड़ने को लेकर आरोप-प्रत्यारोप में भी लगे हुए हैं। आप नेताओं ने भाजपा पर केजरीवाल के प्रतिनिधित्व वाले नयी दिल्ली सहित विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में हजारों आप समर्थकों के वोट हटाने के लिए बड़ी संख्या में आवेदन दाखिल करने का आरोप लगाया है।

दूसरी ओर, भाजपा ने आप पर दिल्ली में अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों को दस्तावेज मुहैया कराने और उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।

आप और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप के मध्य, कांग्रेस दिल्ली में अपना चुनावी दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। 1998 से 2013 तक दिल्ली पर शासन करने वाली यह पार्टी पिछले एक दशक से राजनीतिक वनवास में है।

कांग्रेस ने नए जोश के साथ दिल्ली की 48 सीटों पर अपने अब तक के ‘सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों’ को मैदान में उतारा है, जिनमें समय बादली से पार्टी की शहर इकाई के अध्यक्ष देवेंद्र यादव, नयी दिल्ली से संदीप दीक्षित, कालकाजी से महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा, वजीरपुर से रागिनी नायक और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त शामिल हैं।

पार्टी ने आप की घोषणाओं की तरह अपनी खुद की ‘प्यारी दीदी’ योजना पेश की है, जिसमें सत्ता में आने पर दिल्ली में महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया है।

भाजपा द्वारा घोषित 29 उम्मीदवारों में अनुभवी नेता शामिल हैं। उसने हाल ही में पार्टी में शामिल हुए कई प्रमुख ‘बाहरी लोगों’ को मैदान में उतारा है, जिनमें गांधी नगर से दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली, मंगोलपुरी से आप के पूर्व मंत्री राज कुमार चौहान, बिजवासन से आप सरकार में पूर्व परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और पटेल नगर से आप के पूर्व मंत्री राज कुमार आनंद शामिल हैं।

दिल्ली की मुख्यमंत्री के खिलाफ कालकाजी सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा के पूर्व दक्षिण दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी पहले ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा और आतिशी के खिलाफ अपनी टिप्पणी को लेकर विवाद में आ चुके हैं।

वर्ष 2012 में गठित आप, 2013 के विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण चुनावी प्रदर्शन के साथ दिल्ली के राजनीतिक मानचित्र पर उभरी थी, जिसमें उसने कुल 70 में से 28 सीटें जीती थीं और 29.5 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।

भाजपा ने तब 32 सीटें और कांग्रेस ने 8 सीटें जीतीं, जिनका वोट प्रतिशत क्रमशः 32.3 और 24.6 था। आप के राजनीतिक प्रभुत्व का युग वर्ष 2015 में 54.3 प्रतिशत वोट के साथ जीते गए विशाल जनादेश के साथ शुरू हुआ। साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आप ने प्रचंड बहुमत हासिल किया और पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर जीत हासिल की। भाजपा को तीन सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली, जिसका वोट प्रतिशत क्रमशः 32.2 और 9.7 रहा।

2020 के चुनावों में भी कमोबेश ऐसा ही प्रदर्शन दोहराया गया, जिसमें भाजपा को आठ सीट और 39 प्रतिशत वोट मिले। आप ने 53.6 प्रतिशत वोट के साथ 62 सीटें जीतीं। कांग्रेस फिर से कोई सीट जीतने में विफल रही और उसका वोट प्रतिशत आधा होकर 4.3 प्रतिशत रह गया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad