हरियाणा विधानसभा चुनाव में 75 पार का नारा दिया और इसी विशाल लक्ष्य को लेक सपने संजोए थे। लेकिन उसके सपने बिखर गए। राज्य में भाजपा को 40 सीटें पाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं की नाराजगी के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ा है। राज्य के जाट बहुल क्षेत्रों में भी भाजपा की सीटें घटी हैं। हिसार, सिरसा, जींद और भिवानी में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उभार ने भी भाजपा को नुकसान को नुकसान पहुंचाया है। हालांकि जीटी रोड से लगे क्षेत्रों अंबाला, करनाल और पानीपत में भाजपा की स्थिति बेहतर रही लेकिन जीटी रोड पर ही पड़ने वाले सोनीपत में उसे हार का सामना करना पड़ा।
ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को अच्छी बढ़त
अगर सीटों की बात करें तो राज्य की कुल 90 सीटों में से 59 सीटें ग्रामीण क्षेत्रों में ही पड़ती हैं। भाजपा सिर्फ 21 सीटों पर जीत हासिल करती दिख रही है। जबकि कांग्रेस 28 सीटों पर आगे चल रही है। जेजेपी को 8 ग्रामीण क्षेत्रों पर बढ़त मिल रही है। इनेलो तीन और अन्य एक सीट पर आगे चल रहे हैं।
जिला मुख्यालयों पर भाजपा का पलड़ा भारी
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में मोटे तौर पर जिला मुख्यालयों पर भाजपा की स्थिति बेहतर रही लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं का वैसा समर्थन नहीं मिला। किसानों की नाराजगी ने भाजपा के प्रदर्शन पर खासा असर डाला है। कई लोगों का कहना है कि राष्ट्रवाद और अनुच्छेद 370 की बड़ी-बड़ी बातों से मतदाता ज्यादा प्रभावित नहीं हुए।
किसानों को एमएसपी न मिलने का असर
किसानों की नाराजगी मुख्य रूप से अपनी रोजमर्रा के दिक्कतें के कारण दिखाई दी। किसानों को खुले बाजार में कपास का पूरा मूल्य नहीं मिल पा रहा है। कपास की कीमत एमएसपी से कम मिल रही है। यही स्थिति धान में भी दिखाई दी। धान की सरकारी खरीद न होने से भी किसानों को परेशानी हुई। इससे किसानों को काफी हद तक मोह भंग हो गया।
कर्जमाफी के वादे से रुझान कांग्रेस की ओर
दूसरी ओर, कांग्रेस ने किसानों को लुभाने के लिए कर्जमाफी का तीर चलाया। यह वादा किसानों को काफी अपील कर गया। कांग्रेस के प्रमुख नेता और मुख्यमंत्री पद के दावेदार भूपिंदर सिंह हुड्डा ने घोषणा की कि अगर उनकी सरकार बनी तो पहला फैसला कर्जमाफी का ही होगा। परेशानहाल किसानों को यह बड़ी राहत दिखाई दी। दूसरी ओर भाजपा ने इस तरह का कोई लोकलुभावन फैसला नहीं किया। इससे किसानों का रुझान कांग्रेस की ओर बढ़ गया और ग्रामीण सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।
रविदास मंदिर के मसले पर दलित नाराज
दलित वर्ग के मतदाताओं की भी नाराजगी से भाजपा को नुकसान हुआ। दिल्ली में संत रविदास का मंदिर तोड़े जाने से दलित समुदाय के मतदाता बहुत नाराज हो गए। इस वजह से भी भाजपा को नुकसान हुआ। भाजपा को नुकसान होने से कांग्रेस को फायदा मिल गया। कहा जा रहा है कि जिन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीत रहे हैं, उनका मार्जिन भी काफी अच्छा है जबकि भाजपा के आगे चल रहे प्रत्याशी बहुत कम मार्जिन से बढ़त बना पाए।
जेजेपी ने सभी को चौंकाया
हिसार, जींद, भिवानी और सिरसा में पहले कभी इनेलो काफी मजबूत होती थी लेकिन अब जेजेपी के प्रत्याशियों को मतदाताओं का भारी समर्थन मिला। यही वजह से महज नौ महीने पुरानी जेजेपी 10 सीटों पर आगे चल रही है या उसके प्रत्याशी जीत चुके हैं। इनेलो को सिर्फ एक सीट पर ही बढ़त मिल पाई है।