Advertisement

रानी से रानी का मुकाबला?

उत्तर प्रदेश के अमेठी में नजारा दिलचस्प है। इस सीट से कांग्रेस नेता संजय सिंह की दो पत्नियों के बीच अप्रत्यक्ष चुनावी मुकाबला है। रानी से रानी के इस मुकाबले में पहली रानी गरिमा सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस-सपा गठजोड़ के कारण सपा उम्मीदवार उतारे जाने के बावजूद कांग्रेस से टिकट की दावेदार रहीं दूसरी पत्नी अमिता सिंह के मैदान में उतरने से अभी इनकार नहीं किया सकता।
रानी से रानी का मुकाबला?

राजघराने में गरिमा के नाम और हैसियत तथा जनता की सहानुभूति जैसी वजहों पर भाजपा भरोसा कर चल रही है और यही कारण है कि उसने गरिमा को मैदान में उतारा। उधर सीट बंटवारे के तहत अमेठी सीट सपा को मिल गई है और विवादास्पद नेता गायत्री प्रजापति यहां से उम्मीदवार हैं।

बताया जा रहा है कि अमिता पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रही हैं और उन्होंने पार्टी नेतृत्व को अपनी भावना से अवगत करा दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने लंबे समय से कड़ी मेहनत की है और वह मुकाबले से नहीं हटेंगी। उन्होंने कहा, अमेठी मेरा परिवार और घर है और मैं इसे छोड़ नहीं सकती... मैं यहीं से लडूंगी। साथ ही बोलीं कि उन्होंने लंबे समय से वोटरों के बीच कड़ी मेहनत की है। अमिता ने कहा, मैंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से बात कर जमीनी हकीकत बता दी है और उनसे आग्रह किया है कि वह इस बारे में सोचें क्योंकि अमेठी विधानसभा सीट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र में पड़ती है।

गरिमा को प्रत्याशी बनाने वाली भाजपा पर हमलावर होते हुए अमिता बोलीं, भाजपा घटिया राजनीति पर उतर आई हैं। वरिष्ठों को बाहर कर दिया गया और ऐसे लोगों को टिकट दिया गया जिनकी क्षेत्र में कोई पहचान नहीं है। जनता ने ना तो उन्हें (गरिमा) और ना उन्होंने जनता को कभी देखा।

विधानसभा चुनावों की बात करें तो 60 वर्षीय गरिमा पहली बार राजनीतिक सफर की शुरुआत कर रही हैं। जुलाई, 2014 में बेटे अनंत विक्रम और पुत्रियों महिमा एवं शैव्या के साथ पारिवारिक भूपति भवन महल लौटने पर वह सुर्खियों में थीं। पारिवारिक विरासत पर नियंत्रण को लेकर उनकी संजय सिंह और दूसरी पत्नी अमिता से काफी कहासुनी भी हुई। कांग्रेस ने पारिवारिक झगड़े से दूर रहना बेहतर समझा तो खबर है कि भाजपा ने 2016 में ही गरिमा और उनके बच्चों से संपर्क साधा और उसके बाद अनंत एवं उनकी बहन महिमा पार्टी में शामिल हुए।

भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए गरिमा पर दांव लगाया है। यहां पार्टी राहुल गांधी को उखाड़ फेंकना चाहती है और पिछले चुनाव में राहुल के हाथ पराजित हुई केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी इसके लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। स्मृति और राहुल के बीच हार-जीत के वोटों का अंतर कम था। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि वह कांग्रेस के गढ़ पर कब्जा कर सकती है। राजघराने से ताल्लुक रखने वाली गरिमा पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की भांजी हैं। अमेठी में पांचवे चरण के तहत 27 फरवरी को मतदान होगा। (एजेंसी)

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad