कांग्रेस के 75 वर्षीय नेता सिद्धारमैया शनिवार को जब मैसूर में खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे तो वह नयी ऊर्जा से लबरेज नजर आये। सिद्धारमैया को कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
सिद्धारमैया ने कहा, ‘‘यह (कर्नाटक में चुनाव परिणाम) 2024 में कांग्रेस की जीत की ओर महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने पूर्व में कई बार कहा था, ‘‘यह मेरा अंतिम चुनाव है। मैं चुनावी राजनीति से संन्यास ले लूंगा।’’
हालांकि, शनिवार को सिद्धारमैया ने संकेत दिया कि उनकी निगाहें भविष्य की संभावनाओं पर टिक गई हैं। मुख्यमंत्री पद पर काबिज होने की इच्छा जता चुके सिद्धारमैया अब आगे होने वाले घटनाक्रम का इंतजार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार मुख्य तौर पर दौड़ में हैं। सिद्धरमैया वर्ष 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की बागडोर संभाल चुके हैं।
वर्ष 2013 में एम. मल्लिकार्जुन खड़गे (वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष) और तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री को पछाड़ते हुए सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने थे। करीब ढाई दशक से ‘जनता परिवार’ से जुड़े रहे और कांग्रेस विरोधी रुख के लिए पहचाने जाने वाले सिद्धारमैया 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए थे।
वर्ष 2004 में खंडित जनादेश के बाद कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाई थी, जिसमें कांग्रेस नेता एन. धर्म सिंह मुख्यमंत्री जबकि तत्कालीन जद (एस) नेता सिद्धारमैया को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।
सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और यह समुदाय राज्य में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। सिद्धारमैया को जद (एस) से बर्खास्त किए जाने के बाद पार्टी के आलोचकों ने दावा किया था कि उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि जद (एस) नेता एच.डी. देवेगौड़ा कुमारस्वामी को पार्टी के नेता के रूप में बढ़ाने के इच्छुक थे।
अधिवक्ता सिद्धारमैया ने उस वक्त भी ‘राजनीति से सन्यांस’ की बात कहते हुए वकालत के पेशे में लौटने का विचार व्यक्त किया था। उन्होंने अपनी पार्टी के गठन की संभावना को खारिज करते हुए कहा था कि वह धनबल नहीं जुटा सकते। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने उन्हें लुभाते हुए पार्टी में पद देने की बात कही थी। लेकिन उन्होंने कहा था कि वह भाजपा की विचारधारा से सहमत नहीं है और 2006 में समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। यह एक ऐसा कदम था जिसके बारे में कुछ वर्षों पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था।
सिद्धारमैया 1983 में लोकदल के टिकट पर चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से जीत हासिल कर पहली बार विधानसभा पहुंचे। उन्होंने इस सीट से पांच बार जीत हासिल की और तीन बार पराजय का स्वाद चखा।
मैसुरू जिले के गांव सिद्धारमनहुंडी में 12 अगस्त, 1948 को जन्मे सिद्धारमैया ने मैसुरू विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली और बाद में यहीं से कानून की डिग्री हासिल की।
पीटीआई इनपुट के साथ