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मायावती ने 'एक देश, एक चुनाव' पर दिखाया 'सकारात्मक' रुख, अखिलेश ने जाहिर की आशंका

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 'एक देश, एक...
मायावती ने 'एक देश, एक चुनाव' पर दिखाया 'सकारात्मक' रुख, अखिलेश ने जाहिर की आशंका

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 'एक देश, एक चुनाव' कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने पर उनकी पार्टी का रुख 'सकारात्मक' है।

वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे लेकर आशंकाएं व्यक्त की हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कोविंद समिति की सिफारिश के अनुसार 'एक देश, एक चुनाव' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

मायावती ने इस सिलसिले में अपने आधिकारिक 'एक्स' हैंडल पर लिखा, ''एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा आज दी गयी मंजूरी पर हमारी पार्टी का रुख सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना जरूरी।''

वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 'एक देश, एक चुनाव' के प्रस्ताव को मंजूरी दिये जाने पर सवाल उठाये हैं।

अखिलेश ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ''लगे हाथ महाराष्ट्र, झारखंड व उत्तर प्रदेश के उपचुनाव भी घोषित करवा देते। अगर 'एक देश, एक चुनाव' सिद्धांत के रूप में है तो कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के सभी ग्राम, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार?''

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने सवाल उठाते हुए कहा, '' भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जब बीच में किसी राज्य की चुनी हुई सरकार को गिरवाएगी तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे? किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या जनता की चुनी सरकार को वापस आने के लिए अगले आम चुनावों तक का इंतज़ार करना पड़ेगा या फिर पूरे देश में फिर से चुनाव होगा? इसको लागू करने के लिए जो सांविधानिक संशोधन करने होंगे उनकी कोई समय सीमा निर्धारित की गयी है या ये भी महिला आरक्षण की तरह भविष्य के ठंडे बस्ते में डालने के लिए उछाला गया एक जुमला भर है?''

उन्होंने कहा, ''कहीं ये योजना चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की तो नहीं है? ऐसी आशंका इसलिए जन्म ले रही है क्योंकि कल को सरकार ये कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए उसके पास मानवीय व अन्य जरूरी संसाधन ही नहीं हैं, इसीलिए हम चुनाव कराने का काम भी (अपने लोगों को) ठेके पर दे रहे हैं।''

यादव ने कहा, ''जनता का सुझाव है कि भाजपा सबसे पहले अपनी पार्टी के अंदर ज़िले-नगर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के चुनावों को एक साथ करके दिखाए फिर पूरे देश की बात करे।''

उन्होंने कहा, ''चलते-चलते जनता यह भी पूछ रही है कि आपके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है, जबकि सुना तो ये है कि वहां तो ‘एक व्यक्ति, एक राय’ (‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’) ही चलती है। कहीं, कमजोर हो चुकी भाजपा में अब ‘दो व्यक्ति, दो राय’ (‘टू पर्सन्स, टू ओपिनियन्स’) का झगड़ा तो नहीं है।''

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक 'एक देश, एक चुनाव' पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई और इसे सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

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