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प्रधानमंत्री के बजाय नड्डा का जवाबी पत्र मल्लिकार्जुन खड़गे का अपमान: प्रियंका गांधी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन...
प्रधानमंत्री के बजाय नड्डा का जवाबी पत्र मल्लिकार्जुन खड़गे का अपमान: प्रियंका गांधी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पत्र का जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख जगत प्रकाश नड्डा के जरिये भिजवाना 82 वर्षीय खरगे का अपमान है।

नड्डा ने पिछले दिनों खरगे की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र के जवाब में बृहस्पतिवार को कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखकर दावा किया था कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी राजनीति का ‘असफल उत्पाद’ (फेल्ड प्रोडक्ट) हैं और उन्हें महिमामंडित करना खरगे की मजबूरी है।

खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में मांग की थी कि प्रधानमंत्री को राहुल गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक और विवादित बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई करनी चाहिए।

प्रियंका गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ कुछेक भाजपा नेताओं और मंत्रियों की अनर्गल और हिंसक बयानबाज़ी के मद्देनज़र लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के जीवन की सुरक्षा के लिए चिंतित होकर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे जी ने प्रधानमंत्री जी को एक पत्र लिखा। प्रधानमंत्री जी की आस्था अगर लोकतांत्रिक मूल्यों, बराबरी के संवाद और बुज़ुर्गों के सम्मान में होती तो इस पत्र का जवाब वह ख़ुद देते। इसकी बजाय उन्होंने नड्डा जी से एक हीनतर और आक्रामक किस्म का जवाब लिखवा कर भिजवा दिया।’’ उन्होंने सवाल किया कि 82 साल के एक वरिष्ठ जननेता का निरादर करने की आख़िर क्या ज़रूरत थी?

प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘लोकतंत्र की परंपरा और संस्कृति, प्रश्न पूछने और संवाद करने की होती है। धर्म में भी गरिमा और शिष्टाचार जैसे मूल्यों से ऊपर कोई नहीं होता।’’

उनका यह भी कहना था, ‘‘आज की राजनीति में बहुत ज़हर घुल चुका है। प्रधानमंत्री जी को अपने पद की गरिमा रखते हुए, सचमुच एक अलग मिसाल रखनी चाहिए थी। अपने एक वरिष्ठ सहकर्मी राजनेता के पत्र का आदरपूर्वक जवाब दे देते तो जनता की नज़र में उन्हीं की छवि और गरिमा बढ़ती।’’

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह अफ़सोस की बात है कि सरकार के ऊंचे से ऊंचे पदों पर आसीन हमारे नेताओं ने इन महान परंपराओं को नकार दिया है।

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