मराठा आरक्षण के संबंध में अदालतों में याचिकाएं दायर करने वाले कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने समुदाय के पात्र सदस्यों को कुनबी प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए जारी शासनादेश (जीआर) को बुधवार को “पूरी तरह से निरर्थक” करार दिया।
पाटिल ने कहा कि मुंबई में मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के अनशन के बाद जारी किए गए जीआर से समुदाय को कोई सार्थक लाभ नहीं मिलेगा।
पाटिल ने छत्रपति संभाजीनगर में पत्रकारों से कहा, “सच्चाई यह है कि इस जीआर के तहत एक भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा। मैंने समुदाय के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी है और मैं पूरे विश्वास के साथ यह कह सकता हूं कि जिनके पास कुनबी वंश का कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं है, उन्हें कभी कुछ हासिल नहीं होगा। इसीलिए मैं इस फैसले को एक बड़ा निराशाजनक फैसला कह रहा हूं।”
उन्होंने मांग की कि मराठा आरक्षण से संबंधित कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख और राज्य के वरिष्ठ मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल को जीआर की मंशा समझाने और सरकार के वादों की जिम्मेदारी लेने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन करना चाहिए।
मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के सिलसिले में एक समिति गठित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की ओर से जीआर जारी करने के बाद मंगलवार शाम को जारंगे ने अपना अनशन समाप्त कर दिया।