14 फरवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में एक्टर सोनू सूद की बहन कांग्रेस की उम्मीदवार हो सकती हैं। सोनू सूद की बहन मालविका सूद सच्चर कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। उन्होंने शनिवार देर रात विधीवत रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। सूत्रों के मुताबिक, वे मोगा से कांग्रेस की विधानसभा चुनाव उम्मीदवार हो सकती हैं। मालविका के कांग्रेस में शामिल होने की पुष्टि कांग्रेस के मोगा जिला प्रभारी कमलजीत सिंह बराड़ ने की। बता दें कि पिछले काफी समय से उनके राजनीति में आने की चर्चा चल रही थी। वे मोगा की राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय थीं।
मालविका अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। 38 साल की मालविका मोगा शहर में अपने सोशल वर्क को लेकर काफी फेमस हैं। वह शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में अपने सामाजिक कार्यों के लिए जानी जाती हैं। कोरोना लॉकडाउन के दौरान लोगों की मदद कर रियल हीरो बनकर उभरे सोनू सूद अपने बेहतर अभियान के लिए जाने जाते हैं। सोनू सूद की सबसे बड़ी बहन मोनिका शर्मा फार्मास्युटिकल सेक्टर से जुड़ी हुई हैं और अमेरिकी में रहती हैं।
मालविका और सोनू अपने दिवंगत माता-पिता शक्ति सागर सूद और सरोज बाला सूद की याद में सूद चैरिटी फाउंडेशन चलाते हैं। मालविका के पिता का 2016 और मां का 2007 में निधन हो गया था। मालविका के पिता मोगा के मेन बाजार में बॉम्बे क्लॉथ हाउस के नाम से दुकान चलाते थे। उनकी मां शहर के डीएम कॉलेज में अंग्रेजी की लेक्चरर थीं।
कंप्यूटर इंजीनियर मालविका मोगा में आइलेट्स कोचिंग सेंटर चलाती हैं। वह जरूरतमंद छात्रों को मुफ्त में अंग्रेजी की कोचिंग मुहैया कराती हैं। उन्होंने गौतम सच्चर से शादी की है। पति पत्नी की की निगरानी में ही सूद फाउंडेशन के चैरिटी प्रोजेक्ट्स काम करते हैं। गौतम सच्चर ने बताया कि अभी वो लोग देश भर में 20 हजार से अधिक गरीब छात्रों को शिक्षा मुहैया करा रहे हैं। दोनों लोग जरूरतमंद मरीजों की सर्जरी के लिए फंडिंग भी करते हैं।
कोविड लॉकडाउन के दौरान मालविका ने गरीब छात्रों के लिए मुफ्त ऑनलाइन क्लासेज चलाए थे। कोरोना संकट के दौरान मोगा में मालविका और सोनू सूद ने जरूरतमंद छात्रों और मजदूरों को सैकड़ों साइकिल बांटी थीं। मालविका ने फाउंडेशन के तहत मोगा के लिए 'मेरा शहर, मेरी जिम्मेवारी' अभियान भी शुरू किया था।
मालविका ने कहा था कि उन्हें अपनी पंजाबी जड़ पर बहुत गर्व है। दूसरों की सेवा करना के मूल्य उनके माता-पिता ने उनमें पैदा किया था। मेरे भाई ने कोविड के दौरान प्रवासियों की मदद की, क्योंकि हम किसी को दर्द में नहीं देख सकते। यही हमारे माता-पिता ने हमें सिखाया। हमारे अंदर पंजाबियत है। हम अपने माता पिता को बहुत याद करते हैं। हम चाहते हैं कि वे देखें और महसूस करें कि हम जरूरतमंदों के लिए क्या कर रहे हैं।'