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प्रवासी मजदूरों से रेल किराया वसूलने पर सोनिया के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी मोदी सरकार को घेरा

विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए रेलवे द्वारा उनसे किराया वसूले...
प्रवासी मजदूरों से रेल किराया वसूलने पर सोनिया के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी मोदी सरकार को घेरा

विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए रेलवे द्वारा उनसे किराया वसूले जाने को लेकर सियासत तेज हो गई है। अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला है। स्वामी ने प्रवासी मज़दूरों को उनके गृह राज्य छोड़ने के लिए रेल किराया वसूलने की तीखी आलोचना की है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा है, ''भारत सरकार की यह कैसी संवेदनहीनता है कि भूखे-प्यासे प्रवासी मज़दूरों से रेल किराया वसूल रही है! जो भारतीय विदेशों में फँसे थे उन्हें फ्लाइट से मुफ़्त में वापस लाया गया। अगर रेलवे अपने फ़ैसले से नहीं हटती है तो पीएम केयर्स के पैसे का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है।''

स्वामी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि रेल मंत्री पीयूष गोयल के कार्यालय से इस मुद्दे पर चर्चा में पता चला है कि सरकार 85 प्रतिशत और राज्य सरकार 15 प्रतिशत का भुगतान करेगी, प्रवासी श्रमिक मुफ्त जाएंगे। मंत्रालय इसकी आधिकारिक पुष्टि करेगा।

'मज़दूरों की घर वापसी के लिए रेल टिकट का खर्च देगी कांग्रेस'

इससे पहले कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने प्रवासी मज़दूरों को अपने गृह राज्य छोड़ने के लिए रेलवे की ओर से किराया वसूलने की कड़ी आलोचना की। सोनिया गांधी की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि प्रदेश कांग्रेस कमिटी की हर इकाई सभी ज़रूरतमंद मज़दूरों की घर वापसी के लिए रेल टिकट का खर्च देगी। सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा है, ''मज़दूर राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं। हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर मुफ़्त में वापस ला सकते हैं, गुजरात में केवल एक कार्यक्रम में सरकारी ख़ज़ाने से 100 करोड़ रुपए खर्च कर सकते हैं, रेल मंत्रालय कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपए दे सकता है तो फिर इन मज़दूरों को मुफ़्त में घर क्यों नहीं पहुंचाया जा सकता है?''

राहुल ने भी उठाए सवाल

इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपये दे सकती है और गुजरात के सिर्फ एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं तो मजदूरों को निशुल्क घर भेजने की रेलवे व्यवस्था क्यों नहीं कर सकती है।

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