उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव में राज्य के दो मंत्रियों समेत सभी 13 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। निर्वाचित सदस्यों में भाजपा के 10, अपना दल का एक, सपा और बसपा के एक-एक उम्मीदवार हैं।
वहीं, बिहार विधान परिषद में भी सभी 11 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं जिसमें 6 चेहरे पहली बार विधान परिषद में कदम रखेंगे। इसमें सीएम नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी और राजद नेता राबड़ी देवी को भी चुना गया है।
उत्तर प्रदेश -
बीते 18 वर्षों में पहला मौका होगा जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। परिषद में अखिलेश का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो जाएगा। उन्होंने खुद की जगह प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को विधान परिषद भेजा।
यूपी विधान परिषद चुनाव के निर्वाचन अधिकारी अशोक कुमार चौबे के मुताबिक, आज नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख थी, लेकिन किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन वापस नहीं लिया। 13 सीटों के लिए केवल 13 उम्मीदवार ही मैदान में थे, इसलिए सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए। भाजपा की तरफ से ग्राम्य विकास मंत्री महेन्द्र सिंह और वक्फ राज्यमंत्री मोहसिन रजा के अलावा डाक्टर सरोजिनी अग्रवाल, बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह, जयवीर सिंह, विद्यासागर सोनकर, विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया और अशोक धवन अब उच्च सदन के सदस्य होंगे। वहीं, अपना दल (सोनेलाल) के आशीष सिंह पटेल भी विधान परिषद सदस्य बन गये हैं। सपा ने एक सीट पर अपने प्रान्तीय अध्यक्ष और मौजूदा विधान परिषद सदस्य नरेश उत्तम को चुना गया है।
बसपा से भीमराव अंबेडकर जीते
दूसरी तरफ, बसपा के भीमराव अम्बेडकर को चुना गया हैं। बसपा की तरफ से भीमराव आंबेडकर को टिकट दिया गया। भीमराव आंबेडकर को बसपा ने राज्यसभा प्रत्याशी के तौर पर उतारा था. लेकिन भाजपा की चाल से बसपा के प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था।
बागियों को दिया मौका
भाजपा ने 10 में चार बागियों को टिकट दिया जिसमें समाजवादी पार्टी से तीन नेता- बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह और सरोजिनी सिंह भाजपा में शामिल हुई थीं। इनके अलावा बसपा के एमएलसी जयवीर सिंह ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। दो वर्तमान मंत्री डा महेंद्र सिंह और मोहसिन रजा को फिर से उच्च सदन भेजने के लिए टिकट दिया गया। भाजपा ने चार टिकट संगठन के लोगों को दिया, इसमें तीन महामंत्री विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया और विद्यासागर सोनकर के अलावा पार्टी के पूर्व प्रदेश कोषाध्यक्ष रह चुके अशोक धवन को टिकट दिया गया। भाजपा ने सहयोगी अपना दल को भी एक टिकट दिया।
बहुमत सपा के पास
13 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद नव निर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम होगा। प्रदेश की 100 सदस्यीय विधान परिषद में अब भाजपा के 21 सदस्य हो गये हैं। वहीं, सपा के 55, बसपा के आठ, कांग्रेस के दो, अपना दल का एक तथा 12 अन्य सदस्य हैं। एक सीट रिक्त है। भाजपा के 10 नए सदस्य चुने जाने के बाद उच्च सदन में बहुमत समाजवादी पार्टी के पास ही रहेगा।
बिहार -
नीतीश तीसरी बार बतौर सीएम निर्वाचित
वहीं, बिहार विधान परिषद चुनाव में 11 सीटों के लिए खड़े सभी उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित कर लिया गया है। निर्वाचित सदस्यों में 6 चेहरे ऐसे हैं जो पहली बार बिहार विधान परिषद के सदस्य बने हैं। बावजूद इसके जेडीयू का दबदबा कायम है और बतौर सीएम नीतीश कुमार तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य चुने गए हैं।
जेडीयू का दबदबा कायम
बिहार विधान परिषद् में जेडीयू पार्टी की संख्या सबसे अधिक है और गुरुवार को 11 निर्वाचित सदस्यों के बाद 75 सदस्यीय सदन में जेडीयू पार्टी के सदस्यों की संख्या 31 हो गई है और कार्यकारी सभापति को शामिल किया जाए तो यह संख्या 32 हो जाएगी। निर्वाचित उम्मीदवारों में जेडीयू से 3, भाजपा से 3, आरजेडी से 2, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा से एक और कांग्रेस पार्टी से एक सदस्य शामिल हैं।
निर्वाचन अधिकारी रामश्रेष्ठ के मुताबिक, बिहार विधान परिषद चुनाव में 11 सीटों के लिए 11 उम्मीदवारों ने ही नामांकन कराया था और सभी उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित कर लिया गया। निर्वाचित सदस्यों में जेडीयू से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, खालिद अनवर और रामेश्वर महतो, भाजपा से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, मंगल पांडेय, संजय पासवान, आरजेडी से राबड़ी देवी, रामचंद्र पूर्वे, हम पार्टी के संतोष मांझी और कांग्रेस से प्रेमचंद मिश्र को निर्वाचित घोषित किया गया है।