केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों का पैसा एक साल में 50 फीसदी बढ़ जाने पर कहा है कि वहां जमा सारा पैसा काला धन नहीं है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि स्विटरजलैंड ने टैक्स हेवन की इमेज से छुटकारा पाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। वह सही समय पर खुलासा करने की कगार पर है इसलिए वह टैक्ट चोरी करने वालों के लिए आदर्श गंतव्य नहीं रह गया है।
इस बीच, वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आश्चर्य जताया कि ऐसे सारे धन को कैसे काला धन माना जा सकता है। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि गलत काम के दोषी पाए गए लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वित्त ने कहा कि भारत को एक द्विपक्षीय संधि के तहत स्विट्जरलैंड से बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां मिलनी शुरू हो जाएंगी।
मालूम हो कि, भारतीयों का स्विस बैंकों में जमा धन बढ़कर पिछले साल एक अरब स्विस फैंक (7,000 करोड़ रुपये) पहुंच गया जो एक साल पहले की तुलना में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इससे पहले लगातार तीन वर्ष से इसमें गिरावट आ रही थी। इसकी तुलना में, स्विस बैंकों के सभी विदेशी ग्राहकों का धन 2017 में करीब तीन प्रतिशत बढ़कर 1460 अरब फैंक यानी करीब 100 लाख करोड़ रुपये हो गया। स्विस नेशनल बैंक द्वारा यह आंकड़ा जारी किया गया है।
जेटलीन उन रिपोर्ट् का भी खंडन किया, जिनमें कहा जा रहा है कि कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार की तरफ से उठाए गए कदम फेल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टों की वजह से भ्रामक जानकारी फैल रही है। उन्होंने फेसबुक पर अपने ब्लॉग में लिखा क स्विस बैंकों में रखे पैसे की डिटेल साझा करने के लिए पहले तैयार नहीं था लेकिन बाद में वैश्विक दबाव की वजह से वह इसके लिए तैयार हुआ है। अब उसने उससे जानकारी मांगने वाले देशों को डिटेल देने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया कि जनवरी, 2019 से भारत को भी इसकी जानकारी मिलनी शुरू हो जाएगी।
इस बीच, वित्त मंत्री गोयल ने कहा कि भारत की स्विट्जरलैंड के साथ संधि है, जिसके तहत वहां की सरकार एक जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2018 तक के सभी आंकड़े भारत को देगी। समझौते के अनुसार भारत को लेखा वर्ष की समाप्ति के बाद ये आंकड़े स्वत: मिलेंगे। स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा पर गोयल ने कहा कि जिन आंकड़ों की आप बात कर रहे हैं वे हमारे पास आएंगे, इसलिए आप कैसे मान सकते हैं कि यह काला धन या गैर-कानूनी लेनदेन है? इसका करीब 40 प्रतिशत हिस्सा तो धन बाहर भेजने की उदार योजना (एलआरएस) के कारण है। यह योजना पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शुरू की थी। इसके तहत एक व्यक्ति 2,50,000 डॉलर सालाना धन बाहर भेज सकता है। गोयल ने कहा कि हमारे पास सारी जानकारी होगी। यदि कोई गलत करता हुआ पाया गया तो सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।