कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद जिन्होंने सोनिया गांधी को लिखे गए "असहमति" पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, उन्होंने पार्टी में अलग-थलग किए जाने के चार दिन बाद पार्टी नेतृत्व को एक और कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि कोई भी कांग्रेसी जिसको कांग्रेस में जरा सी भी रुचि होती वह हमारे प्रस्ताव का स्वागत करता।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि कोई भी कांग्रेसी जिसको कांग्रेस में जरा सी भी रुचि होती वो तो स्वागत करता हमारे पर्पोज़ल्स का। हमने कहा प्रदेश, जिला, ब्लॉक आदि का प्रेसिडेंट और कांग्रेस वर्किंग कमेटी इलेक्टेड होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उनकी मंशा कांग्रेस को मजबूत करने की थी। उन्होंने कहा, "मैं पिछले 34 साल से वर्किंग कमेटी में हूं। जिनको कुछ भी नहीं मालुम और अप्वाइंटमेंट वाला कार्ड मिल गया है वो सब विरोध करते हैं, वो सब बाहर जाएंगे।"
उन्होंने बताया की उन्हें (राहुल गांधी) शुरू में पत्र (पार्टी में सुधारों के लिए उनके और पार्टी के अन्य नेताओं द्वारा लिखित) के साथ समस्या थी। हालांकि, सोनिया जी और राहुल जी ने कहा कि एक महीने के भीतर चुनाव होने हैं। लेकिन कोविड के कारण यह संभव नहीं है। इसलिए हमने सोनिया जी से अनुरोध किया कि वे 6 महीने के लिए अध्यक्ष बनी रहें।
उन्होंने पार्टी के कई नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग सीडब्ल्यूसी के दौरान कमेंट्री कर रहे थे, क्या वे अनुशासनहीनता नहीं कर रहे थे? जो लोग हमें (पत्र लिखने के लिए) गाली दे रहे थे, क्या वे अनुशासनहीन नहीं थे? क्या उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए? हमने किसी को गाली नहीं दी।