जेटली ने राज्यसभा में कहा कि जीएसटी पूरी तरह एक राजनयिक मसला है। कांग्रेस ने जीएसटी विवाद निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज के तहत ट्राइब्युनल बनाने की मांग की तो जेटली ने इस पऱ् चेतावनी देते हुए कहा कि हाल के दिनों में तमाम मुद्दों पर पीआईएल के ज़रिए अदालती दखल बढ़ा है। जेटली ने कहा कि 'जीएसटी मामले में विवाद को लेकर काउंसिल कह सकती है कि दो वरिष्ठ मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री मिलकर राजनीतिक तौर तरीके से इस मुद्दे को सुलझा सकते हैं। यह कानूनी मसला नहीं है कि कितना फीसदी बंगाल को जाए और कितना फीसदी हमारे पास रहे।' इस पर न्यायपालिका को दखल से बचना चाहिए। जेटली ने चेताया कि टैक्स और वित्तीय मामले भी अदालतों के हवाले नहीं किए जाने चाहिए। जेटली ने सूखे के लिए राहत कोष पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए। दरअसल बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सूखे को लेकर राज्य सरकारों को फटकार लगाई और केंद्र को सूखे पर एसटीएफ बनाने का निर्देश दिया। अदालत के इस रवैये को सरकार अपने अधिकारों में दख़ल मान रही है। कांग्रेस ने कहा कि अदालत के सामने विचाराधीन मामलों पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए, हालांकि बाद में संसद में कांग्रेस के सदस्य मेजें थपथपाते देखे गए। जेटली ने कहा कि दिल्ली के पर्यावरण का सवाल, कारों की बिक्री और टैक्सियां चलाने का सवाल और राज्यों में राष्ट्रपति शासन तक का सवाल अदालती गलियारों में निपटाया जाता रहा है। कार्यपालिका और विधायिका के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। उस पर न्यायपालिका का दखल समझ से परे है। जेटली ने कहा कि लोकतंत्र की इमारत धीरे धीरे गिराई जा रही है। इससे पहले गडकरी ने जजों को इस्तीफ़ा देकर चुनाव लड़ने की नसीहत दी थी।
न्यायपालिका के दखल से झल्लाए जेटली बोले, जीएसटी है राजनयिक मसला
मोदी सरकार के एक और मंत्री न्यायपालिका के सरकार के कामकाज में दखल से हताहत हैं। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बाद इस बार वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आवाज उठाई है।
अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप
गूगल प्ले स्टोर या
एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement