उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य समन्वयक अशोक गहलोत ने एक मिसाल देते हुए कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का आभामण्डल बिल्कुल अलग था। मगर मोदी का आभामण्डल अपनी चमक खोता जा रहा है। हालांकि उन्होंने दोनों के बीच तुलना से इनकार किया।
उन्होंने कहा कि मोदी को एक मौका मिला था, मगर उन्होंने इसे खो दिया है। एक ओर जहां लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं को किनारे कर दिया है, वहीं दूसरी ओर पार्टी के कार्यकर्ता घुटन महसूस कर रहे हैं।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एक के बाद एक विफलताओं की वजह से मोदी के जहन में असुरक्षा की भावना घर कर गई है, जो प्रदेश विधानसभा चुनाव में हताशा के रूप में बाहर निकल रही है। मोदी अपने आभामण्डल को बचाने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन विश्वसनीयता का क्षरण उनका पीछा कर रहा है।
उन्होंने कहा वर्ष 2014 में करीब 30 साल के बाद केन्द्र में कोई पार्टी सत्ता में आई और प्रधानमंत्री मोदी के शुरुआती वचनों से यह माना गया कि इस सरकार को अगले 10 साल तक कोई हिला भी नहीं पाएगा, लेकिन अभी ढाई साल भी नहीं बीते हैं और उनकी कलई खुलने लगी है।
गहलोत ने कहा कि भाजपा में तानाशाही अपना सबसे बदनुमा रूप ले चुकी है। इस वक्त मोदी की छवि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तरह बन गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को सत्ता की भूख नहीं है, लेकिन उसका मानना है कि भाजपा का उत्तर प्रदेश में वही हाल होने वाला है, जो दिल्ली और बिहार में हुआ था। भाषा