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राजस्थान सियासी संकट: गहलोत कैबिनेट की बैठक खत्म, मंत्रिमंडल विधानसभा सत्र 31 जुलाई से बुलाने पर अड़ें

राजस्थान में कांग्रेस की अगुवाई वाली गहलोत मंत्रिमंडल  की मंगलवार को बैठक हुई। इसमें राज्यपाल...
राजस्थान सियासी संकट: गहलोत कैबिनेट की बैठक खत्म, मंत्रिमंडल विधानसभा सत्र 31 जुलाई से बुलाने पर अड़ें

राजस्थान में कांग्रेस की अगुवाई वाली गहलोत मंत्रिमंडल  की मंगलवार को बैठक हुई। इसमें राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा राज्य विधानसभा सत्र बुलाने के लिए उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा की। मंत्रिमंडल 31 जुलाई से सत्र आयोजित करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। 

राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह ने कहा कि राज्यपाल द्वारा उठाए गए तीन बिंदुओं के संबंध में भेजे जाने वाले उत्तर के लिए चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं। प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जा रहा है।

राजस्थान में पिछले करीब दो सप्ताह से अधिक समय से सियासी उठापटक जारी है। कांग्रेस की अगुवाई वाली अशोक गहलोत की सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बागी सुर अख्तियार कर लिए हुए हैं। पायलट का दावा है कि कांग्रेस के 18 विधायकों का समर्थन उनके पास है। पिछले दिनों पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने भाजपा शासित राज्य हरियाणा के मानेसर के एक रिजॉर्ट में डेरा डाले हुए थे। 200 वाली विधानसभा सीट में गहलोत सरकार का दावा है कि उनके पास 107 विधायक है।

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बीते सोमवार को राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहलोत कैबिनेट को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए एक अन्य प्रस्ताव भेजने के लिए कहा था। मिश्र ने कहा कि फ्लोर टेस्ट शॉर्ट नोटिस के आधार बुलाना उचित हो सकता है।

उल्लेखनीय है कि राजभवन ने विधानसभा का सत्र आहूत करने के लिए राज्य सरकार से पूछा है कि इसे 21 दिन की समय सीमा में बुलाने के अलावा कोरोना को देखते हुए सोशल डिस्‍टेंसिंग का ध्‍यान रखना भी बेहद जरूरी है। इसके अलावा सरकार से पूछा है गया है कि विधानसभा सत्र के दौरान सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन किस प्रकार किया जाएगा? क्‍या कोई ऐसी व्‍यवस्‍था है, जिसमें 200 विधायकों के अलावा 1000 से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों के जुटने पर कोरोना संक्रमण का खतरा न हो।

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बता दें कि राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल को एक संशोधित नोट भेजा था जिसमें अनुरोध किया गया था कि 31 जुलाई को विधानसभा का एक सत्र बुलाया जाए क्योंकि उन्होंने पहले छह बिंदुओं वाले प्रस्ताव को वापस कर दिया था।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले हफ्ते से ही विधानसभा सत्र बुलाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि राज्यपाल जानबूझकर सत्र बुलान में देरी कर रहे हैं उनके ऊपर दबाव है। वहीं बीते हफ्ते भी जब सीएम गहलोत राज्यपाल से मिलकर विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव लेकर गए थे तो उस पर भी कलराज मिश्रा ने कहा था कि सीएम के प्रस्ताव में कोई साफ बात नहीं लिखी है। इसके साथ ही उन्होंने उस समय भी 6 सवाल पूछे थे।

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गहलोत गवर्नर से कई बार मिल चुके हैं। वहीं, दबाव बनाने के लिए वो बीते शुक्रवार को अपने विधायकों को लेकर भी राजभवन पहुंचे थे, जहां उनके साथ पहुंचे विधायकों ने राजभवन के अंदर गहलोत के समर्थन में नारे भी लगाए थे, जिसपर राज्यपाल ने गुस्सा दिखाया था। गहलोत ने अपने विधायकों को राजभवन की परेड पर ले जाने के पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि राज्यपाल ऊपरी दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के बाद फिर राज्यपाल से मिलने का फैसला किया था।

 

 

 

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