कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि अदाणी समूह से जुड़े मामले पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि इस ‘महाघोटाले’ में दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि उद्योगपति गौतम अदाणी की गिरफ्तारी होनी चाहिए।
रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘सच्चाई पर पर्दा डालने की तैयारी चल रही है। इसका एक स्पष्ट संकेत ऐसी खबरें हैं कि अदाणी समूह से जुड़ी अपारदर्शी ‘ऑफशोर’ संस्थाएं और लोगों ने टोकन राशि के लिए प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन के गंभीर आरोपों को निपटाने की पेशकश की है। इनमें कथित तौर पर चार कंपनियों - अदाणी एंटरप्राइजेज, अदाणी पावर, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस और अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड में निवेश शामिल है।’’
उन्होंने दावा किया कि वैसे तो कोई भी समझौता अपराध का प्रमाण है, लेकिन यह मामला स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री के आशीर्वाद से उन्हें छूट मिलने का है।
रमेश ने कहा, ‘‘अदाणी महाघोटाले में गंभीर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए, जांच एजेंसियों द्वारा गिरफ़्तारी और छापे भी डाले जाने चाहिए। हम सेबी से इन संस्थाओं के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चिंता की दूसरी वजह सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच के हितों का टकराव है, जिन्होंने ख़ुद उन अपारदर्शी ‘ऑफशोर फंड’ में निवेश किया था, जिन पर बेनामी निवेश के माध्यम से इन कानूनों के उल्लंघन का आरोप है। इस्तीफ़ा देने या हटाए जाने की बात तो दूर, वह अब उन लोगों के साथ समझौता करने की स्थिति में हैं जिन्हें वह हमेशा बचाती रही हैं।’’
रमेश ने दावा किया कि ‘टोकन सेटलमेंट’ उन भारतीय संस्थाओं के लिए मज़ाक बन जाएगा जिनकी प्रतिष्ठा पहले से ही प्रधानमंत्री और उनके मित्रों के कार्यों से कलंकित हो चुकी है।
रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों में अदाणी समूह के प्रमुख गौतम अदाणी और कंपनी के अन्य अधिकारियों पर अमेरिकी अभियोजकों द्वारा अभियोग लगाए जाने के बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल संयुक्त संसदीय समिति से आरोपों की जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में इस मामले को लेकर उद्योगपति गौतम अदाणी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की थी। अदाणी समूह ने सभी आरोपों को आधारहीन बताया है।