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पीके के हसीन प्रस्ताव ने बिछाए कांटे

पीके17 यानी प्रशांत किशोर 2017 के तारणहार बनकर केवल कांग्रेसियों को टिकट के सपने ही नहीं दिखा रहे बल्कि चीफ मिनिस्टर की कुर्सी के प्रस्ताव लेकर बीजेपी के नेताओं के पास भी जा रहे हैं। पीके महाराज की इस पहल से वरिष्ठ कांग्रेस नेता ही नहीं गांधी परिवार के सदस्य भी नाराज हैं।
पीके के हसीन प्रस्ताव ने बिछाए कांटे

कांग्रेस के शीर्षस्‍थ नेताओं को ये जानकार भी बेहद आश्चर्य है कि गांधी परिवार या किसी भी बड़े नेता से राय लिए बिना प्रशांत किशोर ने पार्टी आलाकमान के नाम पर बीजेपी नेताओं को कांग्रेस मे शामिल होकर मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव दे दिए। बीजेपी नेता भी इसे मूर्खतापूर्ण सपने बता रहे हैं।

असल में प्रशांत किशोर 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रणनीतिकार होने का दावा करते हुए कई बीजेपी नेताओं के संपर्क में रहे थे। तब नरेंद्र मोदी और अमित शाह का हाथ सिर पर होने से बीजेपी नेता और कार्यकर्ता उनकी अच्छी-बुरी सब बातें सुन लेते थे। चुनाव जीतने के बाद बीजेपी नेतृत्व ने पीके के स्वयं की कोशिश से जीत होने के दावों को नकार दिया और कोई पद भी नहीं दिया। बेआबरू होने के बाद प्रशांत किशोर ने कॉरपोरेट लॉबी की सहायता से नीतीश का दामन थाम लिया और बीजेपी के कुछ नेताओं से तार जोड़े रखे। चाणक्य और नारद के रूप में उन्होंने बिहार की चुनावी जीत की माला अपने गले में लटका ली। नीतीश को राहुल गांधी को प्रभावित करने के लिए एक विदेश में नौकरी करके आया अंग्रेजीदां झोला छाप नेता मिल गया। नीतीश ने बिहार सरकार का पद और पार्टी तिजोरी के हिस्से के साथ पीके को राहुल से मिलवा दिया। राहुल गांधी भी पुराने चावल के बजाय नई उम्र की नई फसल को अपने आंगन में जगह दे रहे हैं। लेकिन पीके ने कुछ ही महीनों में उत्तर प्रदेश और पंजाब में कांग्रेस के लिए बहुत कांटे बिछा दिए हैं। अब मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव ने तो जैसे कांग्रेस शिविर में आग लगा दी है। यही कारण है कि इस महीने यूपी में राहुल गांधी के मार्गदर्शन के लिए निर्धारित कार्यकर्ता सम्मलेन भी स्‍थगित कर दिया गया है।

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