राय, यादव समुदाय से आते हैं। यह वही समुदाय है जिस पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की अच्छी पकड़ है। उनकी नियुक्ति को सवर्णों से इतर समुदायों के बीच पैठ बनाने के भाजपा के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। खासतौर पर इसे जातियों के प्रति संवेदनशील राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग को लुभाने की कोशिश माना जा सकता है जहां पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को जदयू और राजद के गठजोड़ ने करारी शिकस्त दी थी।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी को दिल्ली की कमान देकर भाजपा की पूर्वांचल वोटर्स पर नजर है। अगले साल होने वाले नगर निगम चुनाव से पहले तिवारी को प्रेसीडेंट बना कर भाजपा एक बड़ा दांव चला है। पार्टी दिल्ली में कांग्रेस के सेंट्रल लेवल के नेता अजय माकन और आप के केजरीवाल की टक्कर में किसी पॉपुलर शख्स को प्रेसिडेंट पद पर लाना चाहती थी। लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद से दिल्ली की राजनीति में तिवारी का कद बढ़ने लगा था।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी हार का एक कारण पूर्वांचल वोटर्स का उससे दूर जाना माना जाता है। भाजपा पूर्वांचल वोटर्स पाना चाहती है। एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों की तादाद 40 फीसदी के आसपास है। दिल्ली की कई सीटों पर पूर्वांचल के वोटर दूसरे वोटर्स से ज्यादा हैं। खास बात यह है कि पूर्वांचल के लोगों की ज्यादा संख्या अनियमित कॉलोनियों में है।