एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक, भाजपा को चंदे में मिली रकम कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस को मिले चंदे से तीन गुना ज्यादा है। कांग्रेस को भाजपा के बाद सबसे अधिक 20 करोड़ रुपये चंदे में मिले हैं जो उन्हें 918 दानदाताओं ने दिए हैं। चंदे का ब्यौरा पार्टियों ने चुनाव आयोग को सौंपा है।
कांग्रेस और भाजपा ने अपने आयकर रिटर्न की जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी है इसलिए 20,000 रुपये से कम की लिमिट में कितना चंदा इन्हें प्राप्त हुआ है, यह जानकारी बाहर नहीं आई है। बसपा ने यह घोषणा की है कि उसे 2015-16 के बीच 20,000 से नीचे का चंदा नहीं मिला है।
सबसे रोचक बात यह है कि 2014-15 की तुलना में पार्टियों को मिले चंदे में 528 करोड़ रुपये की कमी हुई है, यानी चंदे में 84 प्रतिशत की गिरावट आई है। एनसीपी को मिले चंदे में 98 प्रतिशत की कमी हुई है, उसे इस बार सिर्फ 71 लाख का ही चंदा मिला है। जबकि भाजपा को मिला चंदा 2014-15 की तुलना में 82 प्रतिशत कम है।
भाजपा को मिले चंदे में 2013-14 और 2014-15 में 156 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और कांग्रेस को मिले चंदे में उसी अवधि में 137 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
कांग्रेस को 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 1.17 करोड़ रुपये, सीपीआई को 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 22.22 लाख रुपये और भाजपा को सिर्फ बिहार से 51,000 रुपये दान मिला है। सभी राज्यों में सबसे अधिक दान कर्नाटक के दानदाताओं ने किया जिन्होंने 80 लाख रुपये भेजे हैं, इसके बाद मेघालय का स्थान है जहां के दानदाताओं ने 21.54 लाख रुपये भेजे हैं। दोनों राज्यों का चंदा कांग्रेस को मिला है।