जिस तरह से भाजपा नेताओं ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बचाव किया उस तरह से वसुंधरा का बचाव करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। भाजपा के एक पदाधिकारी के मुताबिक सुषमा का ललित मोदी से संबंध का प्रकरण दूसरा और वसुंधरा के संबंध का प्रकरण अलग हैं। ऐसे में सुषमा का बचाव तो किया जा सकता है लेकिन वसुंधरा का बचाव मुश्किल है। नेता के मुताबिक वसुंधरा समय-समय पर पार्टी नेतृत्व को चुनौती भी देती रहती है और इस बात के लिए आगाह करती हैं कि प्रदेश भाजपा में उनसे बड़ा नेता कोई नहीं हैं। इसलिए पार्टी नेतृत्व उनका साथ देने से कतरा रहा है।
खबर तो यह भी आई थी कि वसुंधरा के समर्थक ३० विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने का समय मांगा था लेकिन शाह ने मिलने से इंकार कर दिया। जब यह खबर मीडिया में चर्चित हुई तो मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार की ओर से एक पत्र जारी किया गया कि यह खबर झूठी है। जो भी हो लेकिन वसुंधरा पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि वसुंधरा के कामकाज के रवैये से कई विधायक और नेता नाराज रहते हैं। ऐसे में नाराज नेताओं को ललित मोदी प्रकरण ने मौका दे दिया है। हालांकि मंत्री आर एस राठौर राजे के इस्तीफे की मांग को ठुकराते हैं। लेकिन सच्चाई यही है कि उनके खिलाफ बन रहे माहौल से पार्टी नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गई है।