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भाजपा ने महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस लिया, कहा-वादे नहीं निभा पाई पीडीपी

भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से गठबंधन तोड़ने के साथ ही...
भाजपा ने महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस लिया, कहा-वादे नहीं निभा पाई पीडीपी

भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से गठबंधन तोड़ने के साथ ही महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। यह घोषणा नई दिल्ली में भाजपा के महामंत्री राम माधव ने की। उन्होंने कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की सलाह के बाद लिया गया। उन्होंने कहा कि  पीडीपी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी और वादे नहीं निभा पाई।

राम माधव ने कहा कि भाजपा का पीडीपी के साथ गठबंधन जारी रखना मुश्किल हो गया था इसकी वजह से हमने अलग होने का फैसला किया। भाजपा नेता ने कहा कि यह फैसला राष्ट्रहित में लिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प है। 

राम माधव ने कहा कि राज्य में आतंकवाद, हिंसा और कट्टरपंथ काफी बढ़ता जा रहा था और लोगों के मौलिक अधिकार खतरे में पड़ने लगे थे। सरकार की कानून-व्वस्था पर से पकड़ कमजोर हो रही थी। पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या इसका एक उदाहरण है। केंद्र ने घाटी के लिए सबकुछ किया। हमने पाकिस्तान द्वारा सीजफायर के उल्लंघन को रोकने की पूरी कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि पीडीपी लोगों के किए गए वादों को पूरे करने विफल रही। हमारे नेताओं को जम्मू और लद्दाख के विकास कार्यों के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि मुफ्ती सरकार राज्य में शांति और विकास पर खरी नहीं उतरी।  भाजपा के इस फैसले से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी।

 जम्मू-कश्मीर में यह गठंबधन मार्च 2015 में बना था। इसके बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। उनके निधन के बाद राज्य में तीन महीने तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा। इसके बाद फिर दोनों दलों में सहमति बनी और चार अप्रैल 2016 को महबूबा मु्फ्ती ने सरकार बनाई।

महबूबा सरकार में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नौ कैबिनेट मंत्री और तीन राज्य मंत्री  और भाजपा के आठ कैबिनेट मंत्री और दो राज्य मंत्री शामिल हुए। भाजपा नेता निर्मल सिंह को इस सरकार में भी उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

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