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मध्य प्रदेश में सरकार गिरी तो कांग्रेस जिम्मेदार, हम नहीं: शिवराज सिंह चौहान

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन वाली सरकार के गिरने के बाद कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश में भी...
मध्य प्रदेश में सरकार गिरी तो कांग्रेस जिम्मेदार, हम नहीं: शिवराज सिंह चौहान

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन वाली सरकार के गिरने के बाद कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश में भी सियासी हलचल बढ़ गई है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरती है तो इसके लिए वह जिम्मेदार नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार में काफी आंतरिक मतभेद हैं और ऐसे में अगर सरकार गिरती है तो इसके लिए कांग्रेस खुद जिम्मेदार होगी।

पूर्व सीएम चौहान ने कहा कि यदि प्रदेश में ऐसा कुछ होता है तो वह कुछ नहीं कर पाएंगे। चौहान के इस बयान के बाद से प्रदेश में कर्नाटक जैसी सियासी स्थिति के कयास लगाए जा रहे हैं।

यह कमलनाथ सरकार है, कुमारस्वामी नहीं: कांग्रेस

वहीं, दूसरी तरफ भाजपा नेता के बयान पर पलटवार करते हुए कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार में परेशानियां पैदा करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। उन्होंने भाजपा को चेताते हुए कहा कि यह कमलनाथ सरकार है, कुमारस्वामी नहीं और इस सरकार में उन्हें (भाजपा को) खरीद-फरोख्त करने के लिए सात जन्‍म लेना पड़ेगा।

क्या अब एमपी की बारी?

आखिर इन अटकलों के पीछे क्या वजह है कि भाजपा कर्नाटक जैसा कुछ उलट-फेर मध्य प्रदेश में भी कर सकती है। दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल सीटें 230 हैं और बहुमत के लिए जरूरी है 116 सीट। इनमें से कांग्रेस के पास 114 सीटें हैं जबकि भाजपा की 109 सीटें हैं। इनके अलावा बसपा और सपा के एक-एक जबकि चार निदर्लीय विधायक हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि कमलनाथ सरकार के पास बहुमत से दो सीट कम है और वो निर्दलीय और सपा-बसपा विधायकों के सहारे सत्ता में टिकी हुई है। यदि भाजपा कांग्रेस के विधायकों को या फिर निर्दलीय और सपा-बसपा विधायकों को तोड़ने में कामयाब हुई तो फिर कमलनाथ सरकार भी संकट में आ सकती है।

 

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