देश के पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों का प्रभाव है कि देश की मुख्य सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने टीवी पर विज्ञापन देने के लिहाज से बड़े बड़े कॉरपोरेट ब्रांड को पीछे छोड़ दिया है। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बीएआरसी) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक भाजपा टीवी पर विज्ञापन देने में सबसे आगे है, जबकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस टॉप 10 में भी नहीं है। विज्ञापन देने में दूसरे स्थान पर नेटफिलिक्स और तीसरे स्थान पर ट्रिवैगो है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि भाजपा टेलीविजन जगत में सबसे बड़ी विज्ञापनदाता बन गई है जो ''सूटबूट की सरकार'' का उदाहरण है।
पार्टी ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग इसका तत्काल संज्ञान ले कि भाजपा के विज्ञापन के खर्च का चुनावी प्रक्रिया की शुचिता एवं पारदर्शिता पर कितना असर हुआ है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रह चुके कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ''ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल ऑफ इंडिया (बार्क) टीआरपी के साथ ही टेलीविजन पर विज्ञापन के संदर्भ में डेटा पेश करती है। 16 नवंबर, 2018 को खत्म हुए हफ्ते के डेटा के मुताबिक सबसे बड़ी विज्ञापनदाता भाजपा है। उसने विज्ञापनों में पान मसाले और फेसक्रीम को भी पीछे छोड़ दिया है।''
उन्होंने दावा किया, '' अलग पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा का यह विज्ञापन दिखाता है कि भाजपा का साठगांठ वाले पूंजीवादियों से संबंध है। यह सूटबूट की सरकार का उदाहरण है।''
उन्होंने कहा, ''कांग्रेस चुनाव आयोग से मांग करती है कि बार्क डेटा को तलब करे और देखे कि भाजपा ने कितना खर्च किया है।'' तिवारी ने कहा, ''चुनाव आयोग तत्काल इसका संज्ञान ले कि भाजपा के विज्ञापन का चुनावी प्रक्रिया की शुचिता और पारदर्शिता पर कितना असर हुआ।''
कांग्रेस के इस आरोप पर फिलहाल भाजपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
बता दें कि बीएआरसी ने बताया है कि 10-16 नंवबर 2018 के बीच भाजपा के विज्ञापन सबसे अधिक 22099 बार दिखाए गए. दूसरे नंबर पर नेटफिलिक्स रही, जिसके विज्ञापन 12951 बाद दिखाए गए। तीसरे स्थान पर ट्रिवैगो रही, जिसके विज्ञापन 12795 बार दिखाए गए।