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बिहार चुनाव: बीजेपी की गैर-एनडीए को हिदायत, प्रचार में पीएम मोदी के फोटो इस्तेमाल पर एफआईआर

भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल...
बिहार चुनाव: बीजेपी की गैर-एनडीए को हिदायत, प्रचार में पीएम मोदी के फोटो इस्तेमाल पर एफआईआर

भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल करने पर किसी भी गैर-एनडीए पार्टी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की हिदायत दी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार जायसवाल का कहना है कि चुनावों में कोई भी गैर-एनडीए का व्यक्ति, पोस्टर या किसी प्रचार सामग्री पर प्रधानमंत्री की तस्वीरों का इस्तेमाल करते पाए जाते हैं, तो भाजपा प्राथमिकी दर्ज करेगी। 

उन्होंने कहा, राज्य के पार्टी अध्यक्ष के रूप में, मैं ये स्पष्ट कर दूं कि हमारी पार्टी के पास इस चुनाव में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 40 स्टार प्रचारक हैं और केवल एनडीए के सहयोगी ही उनकी तस्वीर का उपयोग कर सकते हैं। अगर बाहर से कोई भी उनकी तस्वीरों का उपयोग करता है, तो हम प्राथमिकी दर्ज करेंगे।” संजय जायसवाल ने कहा कि मुकेश साहनी की अगुवाई वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को फिर से एनडीए में शामिल किया गया है।

जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ‘वैचारिक मतभेद’ का हवाला देते हुए लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) अध्यक्ष चिराग पासवान के बिहार चुनावों में एनडीए से अलग होने के बाद पीएम मोदी के पोस्टर को चुनाव में इस्तेमाल करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया। मंगलवार को, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव आयोग से शिकायत करेगी यदि कोई पीएम मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल करता है।

हालांकि, एलजेपी ने ये कहते हुए पलटवार किया कि नरेंद्र मोदी किसी विशिष्ट पार्टी के नहीं, बल्कि पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं। रविवार को, चिराग पासवान ने चुनावों के बाद बिहार में बीजेपी-एलजेपी सरकार के गठन की बात की थी और राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के रोडमैप को आगे बढ़ाने का दावा किया था। नीतीश विरोधी नारों के साथ मोदी और चिराग की तस्वीरों वाले कुछ पोस्टर एलजेपी नेताओं द्वारा कथित तौर पर लगाए गए थे जो हाल ही में पटना की सड़कों पर दिखाई दिए थे।

 इसने स्पष्ट रूप से नीतीश कुमार को कमजोर करने के लिए बीजेपी और एलजेपी के बीच एक मौन समझौते को लेकर अटकलें लगाई थीं। लेकिन, भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार इस तरह की सभी अटकलों को जल्द ही खारिज कर दिया। उन्होंने इसे दोहराते हुए और जोर देते हुए कहा कि इसे लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए, "हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं।" 

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भाजपा ने बिहार चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। उनका कहना है कि जो भी पार्टी या नेता एनडीए के बाहर चुनाव लड़ेंगे, उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया जाएगा। पिछले दो दिनों में भाजपा के दो वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह और उषा विद्यार्थी चिराग की पार्टी में शामिल हुए हैं। लंबे समय तक आरएसएस से जुड़े रहे राजेंद्र सिंह ने 2015 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। उन्हें उस समय भी मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में मीडिया के एक वर्ग में दिखाया गया था, लेकिन वो और उनका गठबंधन चुनाव हार गया। एलजेपी में उनके अचनाक शामिल होना अब राज्य में राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है।

मुकेश साहनी कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन से बाहर हो गए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी प्रसाद पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनके साथ गद्दारी की है। अब मुकेश साहनी एनडीए का हिस्सा बन गए हैं और गठबंधन के सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ेंगे। भाजपा ने अपने कोटे से वीआईपी को 11 सीटें दी गई हैं। साथ ही विधान परिषद की एक सीट भी दी गई है।

साहनी का कहना है कि उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में एनडीए का समर्थन किया था और 2015 के विधानसभा चुनावों के दौरान भी इसका हिस्सा थे, लेकिन बाद में वे महागठबंधन में चले गए। उन्होंने कहा, "अब मैं अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कर चुका हूं। मुझे महागठबंधन में धोखा दिया गया, लेकिन एनडीए ने मेरे घावों पर मरहम लगाया है।"

साहनी खुद को 'सन ऑफ मल्लाह' कहते हैं। वो पूर्व में बॉलीवुड सेट डिजाइनर थे। छह साल पहले उन्होंने राजनीति में कदम रखा था और धीरे-धीरे मछुआरों की अत्यंत पिछड़ी जातियों (ईबीसी) और संबंधित जातियों के समुदाय के लोकप्रिय नेता बन गए।

भाजपा ने उनके समुदाय के वोटों को अपने गठबंधन को हस्तांतरित करने के लिए अंतिम समय पर एनडीए में फिर से उन्हें शामिल कर लिया। सुशील मोदी कहते हैं कि साहनी केवल मल्लाह समुदाय के नेता नहीं हैं, बल्कि वो सभी अति पिछड़ी जातियों के हैं। इन जातियों का बिहार में कुल मतों का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं। राज्य में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को तीन चरणों में चुनाव होंगे। वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी।

 

 

 

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