दिल्ली में सात लोकसभा सीटों में छह पर कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने अपने अनुभवी और पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है। इन नेताओं की राजनीतिक कर्मभूमि भी दिल्ली ही रही है। इनमें चार उम्मीदवार प्रदेश कांग्रेस की कमान भी संभाल चुके हैं।
आइए. जानते हैं इन उम्मीदवारों के बारे में, जिन पर कांग्रेस ने जताया है भरोसा।
शीला दीक्षितः पंजाब के कपूरथला में जन्मीं शीला दीक्षित की शिक्षा दिल्ली में हुई है। दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने 1998 में कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा के चुनावों में जीत दिलवाई थी। वह 1998 से 2013 तक लगातार मुख्यमंत्री रही हैं और अभी भी प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। 1984 से 1989 तक वे यूपी की कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद रहीं। इस दौरान वह लोकसभा की समितियों में रहने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि रहीं। वे राजीव गांधी के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री भी रहीं। इस बार मनोज तिवारी के सामने वह उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा सीट से फिर से मैदान में हैं।
जेपी अग्रवालः उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा सीट 2008 में बनी थीं और 2009 में जेपी अग्रवाल यहां से पहले सांसद बने। वह 2006 से 2009 तक राज्य सभा के सदस्य भी रह चुके हैं।1983-84 में वह दिल्ली के उपमहापौर भी रहे। 1984 में चांदनी चौक से पहली बार चुनाव जीता था। इसी सीट से 1996 में भी वह चुने गए थे। वह कुल चार बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। 2007 में उन्होंने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभाली। 2014 में के पिछले लोकसभा चुनावों में वे मोदी लहर में मनोज तिवारी से हार गए थे, लेकिन पार्टी ने इस बार उन्हें कपिल सिब्बल की जगह चांदनी चौक से उतारा है।
अजय माकनः दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष माकन ने 1993 में राजौरी गार्डन से पहली बार विधायक का चुनाव जीता। इसके बाद वे 1998 और 2003 में भी विधायक चुने गए। 2004 में नई दिल्ली लोकसभा सीट से तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जगमोहन को हराया। 2009 के चुनावों में दोबारा चुने गए और गृह राज्य मंत्री रहे। 2011 में खेल और युवा मामलों के मंत्री बने। 2012 में आवास और शङरी गरीबी उन्मूलन मंत्री बनाया गया लेकिन 2014 के चुनावों में भाजपा की मीनाक्षी लेखी से हार गए। माकन 39 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष बने थे। एक बार फिर वह नई दिल्ली सीट से मैदान में हैं।
अरविंदर सिंह लवलीः लवली को पार्टी ने इस बार पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का टिकट दिया है। लुधियाना में जन्मे लवली शीला दीक्षित की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। लवली को एनएसयूआई, युवक कांग्रेस, प्रदेश कांग्रेस के विभिन्न पदों पर काम करने का अनुभव है। उन्होंने राजनीति की शुरुआत खालसा कॉलेज में बतौर छात्रसंघ अध्यक्ष की थी। 1998 में पहली बार विधायक चुने गए। फिर 2003 और 2008 में भी जीते लेकिन 2015 में विधायक का चुनाव हार गए। 2013 में दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि बीच में उन्होंने भाजपा के साथ जाकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी लेकिन बाद में राहुल गांधी ने उनकी घर वापसी कराई।
महाबल मिश्राः 2009 में पश्चमी दिल्ली लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुने गए। इससे पहले वह द्वारका विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत दिल्ली नगर निगम से पार्षद के तौर पर की। 1997 में डाबरी वार्ड का प्रतिनिधित्व किया। 1998 में वह नसीरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। 2003 और 2008 में फिर से उसी सीट से विधायक चुने गए। उन्हें बार फिर उन्हें पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट दिया गया है।
राजेश लिलौथियाः कांग्रेस ने लिलौथिया को एकमात्र सुरक्षित उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। वे फिलहाल दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भी हैं और पार्टी के केंद्रीय संगठन में सचिव की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। 2004 से 2013 तक विधायक रहने वाले लिलौथिया पांच साल दिल्ली प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
दिल्ली में शीला दीक्षित लंबे समय तक मुख्यमंत्री रही हैं और वे दिल्ली का जाना पहचाना चेहरा हैं। कांग्रेस ने इसी मकसद से उनकी टीम को मैदान में उतारा है। चुनाव में कम समय के चलते पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया गया है। अब शीला दीक्षित की यह टीम फिर से क्या करिश्मा दिखाती है, इस पर सभी की निगाहें होंगी।