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कांग्रेस-जेडीएस के वकीलों ने इस तरह अदालत में जीती निर्णायक जंग

बीएस येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद कांग्रेस-जेडीएस बनाम भाजपा...
कांग्रेस-जेडीएस के वकीलों ने इस तरह अदालत में जीती निर्णायक जंग

बीएस येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद कांग्रेस-जेडीएस बनाम भाजपा की सियासी लड़ाई चर्चा में है। लेकिन इस मुकाबले में ना सिर्फ राजनीतिक तौर पर कदम उठाए गए बल्कि कानूनी लड़ाईयां भी लड़ी गईं। कांग्रेस-जेडीएस के वकीलों ने कोर्ट पहुंचकर कई अहम चीजें पार्टी के पक्ष में बटोरे। यानी कर्नाटक की सियासत में भाजपा को सरकार बनाने में रोकने के लिए कानूनी लड़ाइयों की बड़ी भूमिका रही है। बहुमत सिद्ध करने के लिए वक्त घटाने से लेकर सदन की कार्यवाही का लाईव वीडियो रिकॉर्डिंग तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले कांग्रेस और जेडीएस के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए।

बहुमत के लिए 15 दिन से 24 घंटे तक...

कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था। इसके खिलाफ कांग्रेस की ओर से एएम सिंघवी और कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने फौरन सुनवाई करते हुए राज्यपाल के फैसले को पलटते हुए 15 दिन को 24 घंटे में बदल दिया। भाजपा की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी लगातार और ज्यादा समय मांगने के पक्ष में दलील देते रहे लेकिन कांग्रेस-जेडीएस के वकीलों के दलीलों के आगे वे नहीं टिक सके।

लिहाजा तीन जजों की बैंच ने शनिवार 4 बजे बहुमत परीक्षण कराने, तुरंत प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने, सभी चुने गए विधायकों को शपथ दिलाने, विधायकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने और बहुमत साबित न होने तक येदियुरप्पा द्वारा कोई अहम नीतिगत निर्णय न लिए जाने को कहा।

अदालत ने बहुमत परीक्षण तक कर्नाटक विधानसभा में किसी एंग्लो इंडियन विधायक को मनोनीत करने से भी मना किया।

कोर्ट के इस फैसले से जोड़तोड़ का वक्त बिल्कुल नहीं मिल पाया और ये एक तरह से कांग्रेस-जेडीएस के लिए बड़ी जीत साबित हुई।

कांग्रेस और जेडीएस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि राज्यपाल द्वारा बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के फैसले को रद्द किया जाए या फिर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए न्योता दें क्योंकि उनके पास बहुमत के लिए जरूरी 112 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।

उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एसके बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू की थी। गुरुवार देर रात दो बजकर 11 मिनट से सुबह पांच बजकर 28 मिनट तक यह सुनवाई चली। उसके बाद शुक्रवार को भी सुबह 10: 30 बजे से सुनवाई चली थी।

प्रोटेम स्पीकर की याचिका खारिज हुई, लेकिन...

भाजपा विधायक केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए जाने के खिलाफ कांग्रेस-जनता दल (एस) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।  हालांकि इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया ले‌किन कार्यवाही का सीधा प्रसारण करवाने की व्यवस्था करवाकर कई गड़बड़ियों की आशंका को दूर किया।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विश्वासमत हासिल करने के दौरान विधानसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाएगा। ऐसा होने से पारदर्शिता बनी रहेगी।

 

 

 

 

 

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