जयराम ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा है कि यूपी के वर्तमान स्वरुप में शासन चलाना संभव नहीं है। मैं तो पहले से यूपी केे विभाजन का पक्षधर रहा हूं। जयराम रमेश ने अलग विदर्भ की मांग का भी समर्थन किया है। मजेदार बात यह है कि हाल ही में आई उनकी एक पुस्तक में उन्होंने यूपीए सरकार द्वारा आंध्र केे विभाजन से कांग्रेस को नुकसान होने की बात लिखी है। इसी किताब में उन्होंने आंध्र के विभाजन काेे भाजपा एवं अन्य दलों के दबाव की मजबूरी भी बताया है।
कांग्रेस खेमे में जयराम रमेश के विरोधाभासी बयानों और कदमों की आलोचना हो रही है। कांग्रेस कह रही है कि जयराम रमेश ने केंद्रीय मंत्रिमंडल मेंं रहते हुए आंध्र के विभाजन और तेलंगाना के गठन की पैरवी की थी। अब किताब में लिखकर अपना दामन बचा रहे हैं। इसी तरह यूपी के वर्तमान स्वरुप में शासन ठीक से नहीं चला पाने की बात का क्या यह मतलब नहींं निकलेगा कि राहुल की टीम इस यूपी काे नहीं संभाल पाएगी। इसके बाद यूपी के विभाजन का विरोध करने वाले दल और लोग क्या इसे मुद़दा नहीं बनाएंगे। कहा जा रहा है कि जयराम रमेश राज्यसभा में पहले की तरह 6 साल के लिए आ गए हैं। और उन्हें चुनाव लड़ना ही नहीं होता। इसलिए नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह की तरह राहुल गांधी को गलत रास्तों और निर्णयों में फंसाकर वह राजनीतिक बाजीगरी करते रहते हैं।