केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पार्टी में नेतृत्व की ऐसी खामियां साफ उजागर हो रही हैं जो कि मेधा आधारित नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को एक मुख्य शिकायत यह है कि वे केंद्रीय नीति निर्माताओं से संवाद करने में खुद को असमर्थ पाते हैं। जेटली ने कहा कि अब भी ढेर सारी पार्टियां हैं जो परिवार के इर्द-गिर्द भीड़ पर आश्रित हैं और इन पार्टियों की मजबूती उन्हें एक साथ बनाए रखने की वर्तमान पीढ़ी की क्षमता पर निर्भर करेगी और मुझे लगता है कि कांग्रेस यह चीज खो रही है। उन्होंने केरल, असम, अरूणाचल और उत्तराखंड जैसे अनेक राज्यों में कांग्रेस को दरपेश समस्याओं को गिनाते हुए कहा कि कांग्रेस के जनाधार में कमी पंजाब में भी हो रही है जहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं। उन्होंने कहा, अगर आप राज्यों को देखें तो पाएंगे कि एक-एक कर कांग्रेस पार्टी अपने ढेर सारे नेता खो रही है। मैं इसके लिए दो खास कारण देखता हूं। छह दशक तक भारत की राजनीति पर दबदबा रखने और तकरीबन 50 साल तक सत्ता में रहने वाली एक पार्टी सहसा ऐसा रूख अपनाने लगी है जिसे मुख्यधारा की पार्टियों को नहीं अपनाना चाहिए। उनकी सफलता अब इससे मापी जाने लगी है कि वे कितना व्यवधान डाल सकते हैं।
जेटली ने कहा, 1991 के बाद चीजें बदल गईं। मैं समझता हूं कि भारत में जो कुछ हो रहा है ये उसका प्रतीक है। उन्होंने कहा, आप कोई भी पेशा ले लें। अब महज यह वजह कोई मायने नहीं रखती कि आपके पिता एक बड़े वकील थे या आप डॉक्टर थे या आपका पारिवारिक कारोबार था। भारत का चरित्र भी ज्यादा युवा, निश्चित रूप से आजादी के बाद वाली पीढ़ी का हो गया है। यही कारण है कि अब आप राज्य दर राज्य मेधा आधारित नेतृत्व देखेंगे। उन्होंने कहा कि जो भी राज्य कांग्रेस के पास बचे हैं, वहां पार्टी बहुत अच्छा करती नहीं दिख रही है। कुछ मिसालें पेश करते हुए उन्होंने कहा, केरल में गुटबाजी ने उसकी छवि बिगाड़ दी है। तमिलनाडु में यह वस्तुत: खत्म हो गई है। पश्चिम बंगाल में यह सिकुड़ गई है। असम में इसके प्रमुख नेता पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो रहे हैं। दिल्ली जैसे राज्य में पिछली बार की शासक पार्टी आठ प्रतिशत लोकप्रिय मत में सिमट गई है। जेटली ने कहा, मैं देख सकता हूं कि जनाधार में गिरावट पंजाब में भी हो रही है।
वित्त मंत्री ने उत्तराखंड के राजनीतिक संकट को कांग्रेस की आंतरिक समस्या बताते हुए कहा, उन्होंने नेताओं का एक हिस्सा खो दिया क्योंकि नेताओं को महसूस हुआ कि केंद्रीय नेतृत्व उनसे मिलने या बात करने के लिए भी उपलब्ध नहीं है। जेटली वस्तुत: उत्तराखंड के विद्रोही कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की पुरानी टिप्पणी की चर्चा कर रहे थे जिन्होंने कहा था कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पास राजद्रोह के आरोपी जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार से मुलाकात के लिए वक्त है लेकिन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले उत्तराखंड के कांग्रेस नेताओं से बात करने के लिए वक्त नहीं है।