केंद्र सरकार पर संसद का शीतकालीन सत्र टालने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। इसमें महामहिम से जल्द सत्र बुलाने की अपील की गई है। कांग्रेस ने कहा है कि सरकार संसद का सामना करने से बच रही है, जिसके कारण सांसद अपनी संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं।
राज्यसभा में विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद, उप नेता आनंद शर्मा, लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में पार्टी के मुख्य व्हिप ज्योतिरादित्य सिधिंया, दीपेंद्र हुड्डा ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि संसद लोकतंत्र की प्रणाली का अहम स्तंभ है। संसद वह फोरम है जहां चुने प्रतिनिधियों को जनहित के मुद्दों पर चर्चा का मौका मिलता है। संसद ही अकेला माध्यम है जहां नीतियों और प्रदर्शन पर सरकार की जबावदेही तय की जाती है। लेकिन सरकार, सत्र बुलाने में देरी के पीछे कोई तर्क संगत कारण नहीं बता रही।
कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि अनौपचारिक तौर पर सरकार ने गुजरात राज्य के विधानसभा चुनावों के कारण सत्र बुलाने में देरी की है। यह भी अहम है कि चुनावों की तारीखों को चुनाव आयोग तय करता है और संसद परंपराओं के आधार पर चलती है। पहले भी विधानसभा चुनाव हुए हैं, लेकिन सत्र को स्थगित नहीं किया गया था। 2012 में गुजरात में 13 और 17 दिसंबर को चुनाव हुए थे। उस समय संसद भी 22 नवंबर से 20 दिसंबर तक चली थी।
कांग्रेस सांसदों ने लिखा है कि साफ है कि सरकार भ्रष्टाचार और नीतियों पर सवालों का जबाव देने से बच रही है। सरकार बिना वजह संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने में टालमटोल कर रही है। यह गंभीर चिंता का विषय है कि सांसदाें को संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने के अवसर देने से वंचित किया जा रहा है। सरकार यह भी नहीं बता रही कि सत्र कब बुलाया जाएगा। कांग्रेस संसदीय दल ने पत्र में कहा है कि संसद सत्र बुलाने का आपको संवैधानिक अधिकार है, इसलिए आपसे अनुरोध करते हैं कि सत्र बुलाने का सरकार को निर्देश दें।