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कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, कहा- प्रवासी मजदूरों के साथ किया जा रहा है मजाक

लॉकडाउन की वजह से देश में लाखों की संख्या में मजदूर फंसे हुए हैं। मजदूरों को वापस लाने के लिए केंद्र की...
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, कहा- प्रवासी मजदूरों के साथ किया जा रहा है मजाक

लॉकडाउन की वजह से देश में लाखों की संख्या में मजदूर फंसे हुए हैं। मजदूरों को वापस लाने के लिए केंद्र की ओर से जारी गाइडलाइंस पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार ने प्रवासी मजदूरों के घर वापसी के लिए जो फरमान जारी किया है, वह अंधेरे में तीर चलाने जैसा है। सरकार को यह पता ही नहीं है कि कितने लोग घर लौटना चाहते हैं और इनके लिए कितने वाहनों की जरूरत पड़ेगी।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता ने कहा कि  29 अप्रैल को प्रवासी मजदूरों को लेकर केंद्र सरकार ने जो गाइडलाइंस जारी की है, वह सिर्फ एक तुगलकी फरमान लगता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह फरमान जारी करने से पहले कोई तैयारी नहीं की। मजदूरों के लिए ट्रेन की व्यवस्था की जानी चाहिए थीं, बसों से लाखों लोगों को लाना संभव नहीं हो पाएगा। बसों से लाने में तो उन्हें कई साल लग जाएंगे।

बिना अनुमान के कैसे सब कुछ तय कर लिया 

उन्‍होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों की संख्‍या का अनुमान लगाए बिना सरकार ने यह तय कैसे कर लिया कि मजदूर बसों में घर जा सकते हैं. क्‍या वे इस काम में तीन साल लगाएंगे। जब विदेश में फंसे लोगों को प्‍लेन से वापस लाया गया तो क्‍या मजदूरों के लिए ट्रेनें नहीं चलाई जा सकती। एक विशेष ट्रेन चलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि क्या यह कोई ब्यूरोक्रेटिक खेल चल रहा है और क्या एक ट्रेन चलाने से कुछ हो जाएगा। वैसे भी यह काफी देरी से लिया गया फैसला है।

मजदूरों को वित्तीय सहायता दी जाए

कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र ने बड़ी बेरहमी से और बिना एक बार विचार किए प्रवासी मजदूरों की पूरी बिरादरी को बेसहारा छोड़ दिया। मजदूरों की मदद के लिए केंद्र सरकार वित्तीय सहायता दे। यह समय की जरूरत है। अमेरिका और मलेशिया सरीखे देश अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक बड़ा हिस्सा लोगों को इस संकट से उबारने पर खर्च कर रहे हैं, लेकिन भारत में ऐसा नहीं हो रहा है। बता दें कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद देश के विभिन्न राज्यों में लाखों मजदूर जहां के तहां फंस गए हैं और अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सरकार के इस फैसले पर विपक्ष लगातार सवाल खड़ा करता रहा है।

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