आइए, देखें आज दिन भर इस मामले में क्या-क्या हुआ
कांग्रेस से नाराज चल रहे गुजरात के बड़े नेता शंकर सिंह वाघेला ने आज दावा किया कि उन्हें 24 घंटे पहले कांग्रेस से बाहर निकाल दिया गया। वहीं कांग्रेस की तरफ से इसका खंडन किया गया। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एएनआई को बताया, ''शंकर सिंह बाघेला जी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है और ना ही उन्हें पार्टी से निकाला गया है। ये आधारहीन बातें हैं। ये उनका अपना फैसला है।''
No action was taken against Shankersingh Vaghela ji nor was he expelled.These are baseless arguments.Its his decision: RS Surjewala,Congress pic.twitter.com/C1PNfXWFA7
— ANI (@ANI_news) July 21, 2017
आज वाघेला का 77वां जन्मदिन है। इस अवसर पर गुजरात के गांधी नगर में उन्होंने कहा, "कांग्रेस ने मुझे 24 घंटे पहले निकाल दिया, ये सोचकर कि पता नहीं मैं क्या कहता। विनाशकाले विपरीत बुद्धि। लेकिन लोग हमारी संजीवनी हैं।"
Congress party ne mujhe 24 ghante pehle nikal diya yeh soch ke ki pata nahi main kya kehta; Vinaash kal vipreet buddhi: Shankersinh Vaghela pic.twitter.com/FNN5sM1RIt
— ANI (@ANI_news) July 21, 2017
जन्मदिन के मौके को वह शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भुनाना चाहते थे।
Gujarat: Senior Congress leader Shankersinh Vaghela at his 77th birthday celebration event in Gandhinagar pic.twitter.com/Lk1JJ7LzzX
— ANI (@ANI_news) July 21, 2017
इस साल के आखिर में गुजरात में चुनाव होने हैं और वाघेला चाहते थे कि पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दे लेकिन गुजरात कांग्रेस इस पर दो गुटों में बंटा हुआ था। शंकर सिंह वाघेला बनाम भरत सिंह सोलंकी। वाघेला ने कहा है कि राज्यसभा चुनाव के बाद वह विधायक पद से भी इस्तीफा दे देंगे।
कांग्रेस से थी तनातनी
शंकर सिंह वाघेला ने कहा था कि पार्टी नेतृत्व अगर गुजरात में इसी तरह 'आत्मघाती मार्ग ' पर चलती रही तो वह उनके पीछे नहीं जाएंगे। वाघेला ने ये भी कहा था कि उन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारी की जरूरत के बारे में अपनी बात रखी है लेकिन राज्य के अन्य नेता उन्हें कांग्रेस से बाहर करने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व में 'दूरदर्शिता' का अभाव होने की बात कही थी। गौरतलब है कि आलाकमान ने उनको आगामी चुनाव से पहले पूरी छूट देने से इनकार कर दिया था।
वाघेला ने कहा था कि पार्टी से मेरी शिकायत यह है कि उन्होंने गुजरात चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कोई योजना नहीं बनाई है, जबकि हमें पता है उसमें (चुनाव में) एक माह की भी देरी नहीं होगी। वरिष्ठों में दूरदर्शिता का अभाव है। उन्हें नहीं पता कि कल क्या होने वाला है। वाघेला ने कहा, आप खुदकुशी के मार्ग पर बढ़ रहे हैं। आगे बहुत बड़ा गड्ढा है, आपको गिरना है तो आगे बढ़िए। मैं इस मार्ग पर आपके पीछे नहीं आऊंगा।
कभी मोदी के राजनीतिक गुरू माने जाते थे वाघेला
गुजरात से आने वाले शंकर सिंह वाघेला को कभी नरेंद्र मोदी का राजनीतिक गुरु भी माना जाता था। वो ऐसे नेता हैं जो भाजपा और कांग्रेस दोनों के अध्यक्ष रहे। अक्टूबर 1996 से अक्टूबर 1997 तक वाघेला गुजरात के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। वाघेला ने कुल छह बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था और तीन बार सांसद बने थे। वाघेला साल 1977 में पहली बार सांसद बने थे।
1980-91 के बीच वाघेला गुजरात बीजेपी के महासचिव और अध्यक्ष रहे। 1984 में राज्यसभा सदस्य बने। 1989 से 96 तक लोकसभा सांसद रहे। मई 1996 में गोधरा से लोकसभा चुनाव हारे। 1996 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी। अक्टूबर 1996 में राष्ट्रीय जनता पार्टी का गठन हुआ। इसी साल को कांग्रेस को समर्थन से गुजरात के मुख्यमंत्री चुने गए। 1997 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 1998 में राष्ट्रीय जनता पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया। 1999 में लोकसभा चुनाव जीता। 2004 में केंद्र सरकार में कपड़ा मंत्री भी रहे। 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव हार गए। फिलहाल गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।