गोरक्षा संकल्प समिति, राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन एवं विभिन्न संगठनों के तत्वावधान में दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर आयोजित साधु संतों के प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि गोरक्षा हमारे अस्तित्व और अस्मिता की रक्षा का सवाल है। गाय की रक्षा करना देश की रक्षा करना है क्योंकि अभी तक ग्रामीण जीडीपी में गाय का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि गौ की रक्षा के लिए गोवध पर संपूर्ण रोक लगनी चाहिए। गोरक्षा के बारे में हमारे संविधान में प्रावधान हैं। इसे क्रियान्वित करने का भी विधान है। हर सरकार को यह करना है लेकिन आजादी के बाद से सरकारों ने ऐसा नहीं किया। स्वामी ने कहा, मुझे विश्वास है कि अब हम ऐसे मोड़ पर आ गए हैं कि गोहत्या पर निश्चित तौर पर प्रतिबंध लगे। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होंने राम सेतु के मामले में सफलता हासिल की, राम मंदिर के विषय पर भी सफलता का विश्वास है। और अब गोरक्षा का विषय लिया है और सभी के आशीर्वाद से इसमें भी सफलता मिलेगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि गोपालकों को गाय पालन करने के लिए सब्सिडी दी जाए।
स्वामी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासनकाल में मांस के निर्यात पर सब्सिडी दी गई थी और अब इसे बंद किया जा रहा है। लेकिन तस्करों द्वारा बांग्लादेश में गाय को भेजना अभी भी एक बड़ी समस्या बना हुआ है। इस पर लगाम लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गायों को ट्रकों में ले जाने पर रोक लगाने के लिए मोटर वाहन अधिनियम में प्रावधान करने की जरूरत है। जाने-माने चिंतक गोविंदाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और देश के समग्र विकास के लिए गोहत्या पर रोक लगाना सबसे जरूरी है। इस दिशा में संसद में संपूर्ण गोहत्या निषेध कानून बनाए जाने की जरूरत है। यह हमारी सरकार से मांग है। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन एवं अन्य गोरक्षा संगठनों द्वारा गोरक्षा के विभिन्न बिन्दुओं पर एक निर्देश पत्र तैयार किया गया है। इसके तहत यह मांग की गई है कि देश में संपूर्ण गोहत्या बंदी का केंद्रीय कानून बने, भारतीय गोवंश पर छाए संकट को दूर करने के लिए गोमांस के निर्यात को प्रतिबंधित किया जाए, गोचर भूमि को सरकारी एवं गैर सरकारी अतिक्रमण से मुक्त किया जाए।