पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु सहित 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति गरम है। वहीं कांग्रेस में मतभेद अब खुलकर सामने आने लगा है। वरिष्ठ नेता और असंतुष्ट खेमे से संबद्ध आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल चुनाव में कांग्रेस की रणनीति पर सवालिया निशान लगाया है। आनंद शर्मा ने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ 'जंग' में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती। पूर्व केंद्रीय मंत्री शर्मा ने बंगाल कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी की वाम दलों और आईएसएफ (इंडियन सेक्युलर फ्रंट) के साथ रैली के विजुअल्स के संदर्भ में यह बात कही।कांग्रेस ने लेफ्ट के साथ हाल ही में नवगठित आईएसएफ के साथ भी गठबंधन किया है।
आनंद शर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा, 'सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती। हमें हर सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए। ' एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, ' आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो कांग्रेस पार्टी की आत्मा है. इन मुद्दों को कांग्रेस कार्य समिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।'
वहीं इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अधीर रंजन ने कहा कि उन्होंने दिल्ली स्थित लीडरशिप के 'साइनऑफ' के बिना कभी कोई फैसला नहीं लिया। न्यूज एजेंसी एनएनआई ने चौधरी के हवाले से कहा, 'हम राज्य के प्रभारी है और किसी भी मंजूरी के बिना अपनी तरफ से कोई फैसला नहीं करते।'
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी, बंगाल में उन वामदलों के साथ है जो केरल के विधानसभा चुनाव में उसके सीधे प्रतिद्वंद्वी हैं। वाम मोर्चा- गठबंधन में आईएसएफ को भी शामिल किया गया है। कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने हाल ही में यह पार्टी बनाई है। पीरजादा अपने विवादित बयानों के लिए सुर्खियों में रहते हैं।