कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वामदल सहित विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) से एक भी भारतीय नागरिक को बाहर नहीं रखा जाए। प्रतिनिधिमंडल ने कोविंद को एक ज्ञापन सौंपकर सरकार पर राष्ट्र के लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कमतर करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि मसौदा एनआरसी में 40 लाख भारतीय सूची से बाहर हो गए हैं।
विपक्षी नेताओं ने कहा कि एनआरसी में 40 लाख से अधिक भारतीय नागरिक बाहर हो गए हैं जिसमें बंगाली, असमिया, राजस्थानी, मारवाड़ी, बिहारी, गोरखा, पंजाबी और उत्तर प्रदेश, दक्षिणी राज्यों के लोग और आदिवासी शामिल हैं जो लंबे वक्त से असम के निवासी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एनआरसी 2018 वर्तमान सरकार द्वारा संविधान, संसद, न्यायपालिका और मीडिया जैसे देश के महान संस्थानों को धमकाने और बर्बाद करने का प्रयास है।
राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन में कहा गयाकि इन महान संस्थानों के संरक्षक के रूप में, हम आपसे यह सुनिश्चित करने की अपील और अनुरोध करते हैं कि एक भी भारतीय नागरिक असम में एनआरसी सूची से बाहर नहीं हो। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के आनंद शर्मा, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, माकपा के मोहम्मद सलीम, जेडीएस के एच डी देवगौड़ा, तेदेपा के वाई एस चौधरी और आप के संजय सिंह सहित अन्य शामिल थे।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 30 जुलाई को असम में एनआरसी का दूसरा अंतिम मसौदा जारी किया गया था। इसमें 40 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं है। जिसके बाद से काफी विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं।
असम में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया। जबकि 40 लाख लोगों का नाम इस लिस्ट में नहीं था। इस लिस्ट में उन सभी भारतीय नागरिकों को शामिल किया गया, जो राज्य में 25 मार्च, 1971 के पहले से निवास करते थे।