भारत सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 पर गजट अधिसूचना जारी कर दी है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली सेवा बिल अब कानून बन गया है। इससे पहले, सात अगस्त को संसद से दिल्ली सेवा विधेयक पारित हो गया था, जिसे लेकर लोकसभा और राज्यसभा में पहले पक्ष विपक्ष के बीच काफी बहस भी देखने को मिली।
बता दें कि शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 यानी "दिल्ली सेवा बिल" को मंजूरी दे दी। इसके बाद भारत सरकार द्वारा इसकी अधिसूचना जारी करते ही बिल अब कानून बन गया है।
Government of India issues gazette notification on Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Act, 2023. pic.twitter.com/dNcUFQPQOh
— ANI (@ANI) August 12, 2023
गौरतलब है कि दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की जगह लेने वाला विधेयक तीन अगस्त को लोकसभा से पास हो गया। इसके बाद लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल सात अगस्त को राज्यसभा में भी पास हो गया। बिल के पक्ष में 131 वोट डाले गए तो इसके विरोध में विपक्षी सासंदों की ओर से सिर्फ 102 वोट पड़े।
बता दें कि केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय द्वारा एक अगस्त को लोकसभा में पेश किए गए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023; दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग के संबंध में सिफारिशों पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार देता है। इसे 25 जुलाई को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई थी।
इससे पहले 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार के नौकरशाहों के स्थानांतरण और पदस्थापना सहित सेवाओं पर नियंत्रण दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पास है। इसको पलटते हुए केंद्र सरकार ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लागू किया था।
बहरहाल, लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल को लेकर घमासान मचा रहा। मॉनसून सत्र के दौरान दोनों ही सदनों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी हंगामा देखने को मिला। गृह मंत्री शाह ने कहा था कि बिल के लाने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं हुआ है। यह व्यवस्था ठीक करने लिए लाया गया है। उनका कहना है कि इसका उद्देश्य दिल्ली में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन सुनिश्चित करना है।
वहीं, दूसरी तरफ राज्यसभा में दिल्ली से संबंधित विधेयक पारित होने के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए ‘काला दिन’ है और भाजपा नीत केंद्र सरकार पर पिछले दरवाजे से सत्ता ‘हथियाने’ की कोशिश करने का आरोप लगाया। केजरीवाल ने यह भी कहा कि यह दिल्ली के लोगों के मताधिकार का ‘अपमान’ है।