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किसान, आदिवासियों ने भी बनाई है पार्टी, चुनावों में ऐसे दे रहे हैं टक्कर

इन दिनों पूरे देश में चुनावी माहौल है और इस बीच राजनीतिक पार्टियों का एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का...
किसान, आदिवासियों ने भी बनाई है पार्टी, चुनावों में ऐसे दे रहे हैं टक्कर

इन दिनों पूरे देश में चुनावी माहौल है और इस बीच राजनीतिक पार्टियों का एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है। चौथे चरण के मतदान के लिए आज शाम पांच बजे तक चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा ऐसे में सभी पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगाने के साथ-साथ अपने मतदाताओं को लुभाने में पीछे नहीं हट रही हैं। इस कड़ी में स्थानीय पार्टियां भी अपना दम दिखाने में पीछे नहीं हैं। आज हम आपको ऐसी ही पार्टियों के बार में बताने जा रहे हैं जो इतनी लोकप्रिय या ये कहें कि ऐसी पार्टियां जिनका नाम भी कम ही लोगों ने सुना होगा वो राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों के लिए चुनौती बनकर चुनावी मैदान में डटी हुई हैं। स्थानीय पार्टियां भी अपने मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। लेकिन 23 मई के बाद ही यह पता चलेगा कि ये पार्टियां कांग्रेस-बीजेपी जैसी राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों को चुनौती देने में कितनी कामयाब हुईं?

एक नजर डालते हैं इन पार्टियों पर-

भारतीय ट्राइबल पार्टी

दक्षिणी राजस्थान के मेवाड़ इलाके को चुनावी तौर पर निर्णायक माना जाता रहा है। इन इलाकों में जीत, सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करती है। 2018 के विधानसभा चुनावों में यहां बनी एक नई पार्टी ‘भारतीय ट्राइबल पार्टी’ (बीटीपी) के दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर कांग्रेस-बीजेपी दोनों को चौंका दिया था। जिसके बाद से कांग्रेस इस बात से परेशान है कि यहां उसका गढ़ टूट रहा है तो वहीं, बीजेपी इसे हिंदू एकता पर चोट की तरह देख रही है।

राजस्थान के राजनीतिक क्षितिज पर हाल ही में उभरी 'भारतीय ट्राइबल पार्टी' के बांसवाड़ा प्रत्याशी कांतिलाल रोत हैं, जो बीजेपी-कांग्रेस की भव्य रैलियों से इतर 'जोहार हमारा नारा है, सारा देश हमारा है' का नारा लगाते हुए अपनी पार्टी के पर्चे गांव-गांव उड़ाते आगे बढ़ रहे हैं।

जनहित किसान पार्टी

‘जनहित किसान पार्टी’ की तरफ से सुधांशु सेठ को चुनावी मैदान में उतारा गया है। इस पार्टी के अध्यक्ष चौरसिया श्यामसुंदर दास हैं। जिनका कहना है कि आजाद भारत में हमारे चौरसिया समाज के लिए देश के राजनीतिक दलों ने नहीं सोचा कि इस समाज का कैसे विकास हो। सभी दलों ने केवल वोट बैंक की राजनीति की है। उनका मानना है कि पार्टी बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि अभी तक पूरे देश में चौरसिया समाज से एक भी सांसद नहीं है। जो बहुत शर्म की बात है। हम जनहित किसान पार्टी के माध्यम से अपने समाज की राजनीतिक भागीदारी चाहते हैं। दास के मुताबित, हम केंद्र सरकार से चाहते हैं कि पान को राष्ट्रीय पौधा घोषित किया जाए और पूरे पान को कृषि का दर्जा दिया जाए।

वीसीके पार्टी

विदुथलाई चिरुथाइगल कांची (वीसीके) तमिलनाडु की दलित पार्टी, जिसे दलित पैंथर पार्टी भी कहा जाता है। वीसीके लोकसभा चुनाव में डीएमके के साथ तमिलनाडु में दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उसमें वीसीके पार्टी दूसरे नंबर पर रही, जिसे 3,01,041 वोट मिले थे। वहीं, पहले नंबर पर एआईएडीएमके की एम. चंद्रकासी ने जीत दर्ज की थी। चंद्रकासी को यहां 4,29,536 वोट मिले थे।  

जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक)

उत्तर प्रदेश की जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक), जो कांग्रेस समर्थित पार्टी है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती दोनों के ही अलग होने से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने चुनावी मुकाबले में अपनी पहचान बनाने के लिए कुछ छोटे दलों जैसे- जन अधिकार पार्टी, महान दल और अपना दल के साथ गठबंधन किया है। ये पार्टियां कांग्रेस समर्थित हैं। जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव हैं। लोकसभा के लिए दावेदारी करने वालों में कांग्रेस सर्मिथत जन अधिकार पार्टी की उम्मीदवार शिवकन्या कुशवाहा हैं।

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