कांग्रेस ने गुरुवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोड़ को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी दोस्ती के लिए घेरा। दरअसल, कांग्रेस ने ट्रंप की हालिया टिप्पणियों और कार्यों को लेकर पीएम मोदी से कहा कि दोस्त दोस्त न रहा।
कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने अपने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "मई 2025 के मध्य से अब तक राष्ट्रपति ट्रंप ने जो कुछ किया है, उस पर एक नज़र डालें - 1. उन्होंने चार अलग-अलग देशों में, जिनमें संयुक्त राष्ट्र भी शामिल है, 45 बार दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवाने का श्रेय उन्हें जाता है, जिसके चलते ऑपरेशन सिंदूर अचानक रोक दिया गया था।"
उन्होंने आगे लिखा, "दूसरी बात यह है कि उन्होंने पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में अप्रत्याशित लंच पर बुलाया - वही व्यक्ति जिसके भड़काऊ और साम्प्रदायिक बयानों की पृष्ठभूमि में पहलगाम आतंकी हमला हुआ था। उन्होंने अमेरिका-पाकिस्तान आर्थिक साझेदारी को और मज़बूत करने की बात की।"
जयराम रमेश ने लिखा, "कुछ रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते को हरी झंडी दे दी है। उन्होंने भारत द्वारा अमेरिका को किए जा रहे निर्यात पर दंडात्मक टैरिफ लगाए और H1B वीज़ा व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया। उन्होंने रूस के साथ भारत के लंबे आर्थिक संबंधों को लेकर भारत को निशाना बनाया और दंडित किया।"
कांग्रेस नेता ने लिखा, " रिपोर्ट्स के मुताबिक आज उनका व्हाइट हाउस में फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर और पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ़ से मुलाक़ात का कार्यक्रम है। नमस्ते ट्रंप का क्या हुआ? हाउडी मोदी का क्या हुआ? झप्पी कूटनीति का क्या हुआ? दोस्त दोस्त न रहा...।"
इससे पहले पटना में हुई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में सरकार पर तीखा हमला करते हुए कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि सरकार के कारण भारत की विदेश नीति ध्वस्त हो गई है।
बैठक की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने की और इसमें पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, कोषाध्यक्ष अजय माकन, महासचिव के सी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और सचिन पायलट तथा बिहार कांग्रेस प्रमुख राजेश कुमार समेत अन्य लोग शामिल हुए।
प्रस्ताव में कहा गया है, "स्वतंत्रता के बाद से सभी सरकारों ने हमारे देश की सामरिक स्वायत्तता की कड़ी सुरक्षा की है, जिसे अब बर्बाद किया जा रहा है, क्योंकि सरकार बिना सोचे-समझे अमेरिका को खुश करने और चीन की ओर झुकाव के बीच झूल रही है।"
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प लगातार यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अमेरिका के साथ व्यापार को सौदेबाजी के एक हथकंडे के रूप में इस्तेमाल किया, ताकि भारत को मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोकने के लिए मजबूर किया जा सके। मोदी सरकार ने इस दावे को ईमानदारी से संबोधित करने से इनकार कर दिया है।
सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव में कहा गया है, "सौदेबाजी के बावजूद, ट्रम्प ने अमेरिका को भारतीय निर्यात पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की - जिससे हमारे लाखों श्रमिकों को रोजगार देने वाले प्रमुख उद्योगों पर कहर बरपा है।"
साथ ही, खड़गे ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन दोस्तों को वह 'मेरे दोस्त' बताते हैं, वही आज भारत को 'कई परेशानियों' में डाल रहे हैं। उनकी यह टिप्पणी ट्रम्प द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन और भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखकर यूक्रेन युद्ध के "प्राथमिक वित्तपोषक" बने हुए हैं।
गौरतलब है कि ट्रम्प प्रशासन ने रूसी तेल की खरीद के लिए दंड के रूप में नई दिल्ली पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गए हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
भारत ने इन शुल्कों को "अनुचित" और "अतार्किक" बताया है। उसने कहा है कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाएगा। इसके अलावा, ट्रम्प प्रशासन ने पिछले सप्ताह एच-1बी वीजा पर एकमुश्त 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाने की घोषणा की थी।