गोवा में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का देहांत होने के बाद एक बार फिर सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस और भाजपा में जोर आजमाइश चल रही है। इस बीच सोमवार को कांग्रेस के सभी 14 विधायकों ने राज्यपाल मृदुला सिन्हा से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया।
विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में कांग्रेस के सभी 14 विधायक राजभवन गए। उन्होंने राज्यपाल को यह कहते हुए एक पत्र सौंपा कि उनकी पार्टी विधानसभा में सबसे बड़ा दल है और उन्हें सरकार बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुमत है जिसे हम साबित करेंगे।
संवैधानिक भूमिका निभाएं राज्यपालः कांग्रेस
सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्यपाल मृदुला सिन्हा को सही निर्णय लेना चाहिए और जिसके पास बहुमत है उसे सरकार गठन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर जनादेश के खिलाफ जाकर कई राज्यों में सरकार बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यपाल को भी पार्टी बनने के बजाय अपनी संवैधानिक भूमिका का निर्वहन करना चाहिए।
'भाजपा कार्यकर्ता' की तरह काम करने का आरोप
इससे पहले मनोहर पर्रिकर की ज्यादा तबीयत खराब होने पर कांग्रेस ने शनिवार को राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश किया था। हालांकि, कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा था कि राज्यपाल मृदुला सिन्हा 'भाजपा कार्यकर्ता' की तरह काम कर रही हैं।
वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी गोवा में डटे हुए हैं और पार्टी के विधायकों से बैठकें कर रहे हैं। उनकी एमजीपी के तीन विधायकों से मीटिंग हुई है।
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन भाजपा ने छोटे दलों और निर्दलीयों विधायकों की मदद से सरकार बनाई थी।
यह है राजनीतिक समीकरण
गोवा में एक गठबंधन सरकार है, जिसमें भाजपा, गोवा फॉरवर्ड पार्टी, एमजीपी और निर्दलीय विधायक शामिल हैं। पर्रिकर के निधन के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल बैठकें मौजूदा हालात पर मंथन में जुट गए हैं। कांग्रेस वर्तमान में 14 विधायकों के साथ राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है जबकि 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में भाजपा के पास 12 विधायक हैं। गोवा फॉरवर्ड पार्टी, एमजीपी और निर्दलीयों के तीन..तीन विधायक हैं जबकि एनसीपी का एक विधायक है।
इस साल के शुरु में भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा और रविवार को पर्रिकर के निधन तथा पिछले साल कांग्रेस के दो विधायकों सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोपटे के इस्तीफे के कारण सदन में विधायकों की संख्या 36 रह गई है।