कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया है कि मोदी सरकार कोरोना संकट के समय में लोगों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र की इकाइयों को नकद सहयोग नहीं देकर अर्थव्यवस्था को नष्ट कर रही है।
कांग्रेस नेता ने इसे ‘नोटबंदी 2.0’ नाम दिया है। उन्होंने ट्विटर पर एक खबर साझा की कि देश में एमएसएमई क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और स्थिति पर कोरोनावायरस महामारी का क्या प्रभाव पड़ेगा।
नकदी नहीं देना आपराधिक कृत्य
राहुल गांधी ने सरकार से यह मांग की हैं कि गरीबों, मजदूरों और एमएसएमई की वित्तीय मदद की जाए। उनका कहना है कि लोगों के खातों में अगले छह महीनों के लिए 7500 रुपये महीने भेजे जाएं और तत्काल 10 हजार रुपये दिए जाएं। इससे पहले राहुल गांधी ने कहा था कि इस संकट से उभरने के लिए सरकार द्वारा लोगों को नकदी मुहैया नहीं कराना आपराधिक गतिविधि है।
लॉकडाउन को बताया फेल'
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोविड-19 मामलों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने देश में मोदी सरकार द्वारा लगाए लॉकडाउन को पूरी तरह फेल बताया है। राहुल गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से कोविड-19 मामलों को लेकर कुछ देशों का उदाहरण ग्राफ के जरिए देकर लिखा है कि ये ऐसा है जो कि एक असफल लॉकडाउन जैसा दिखता है। राहुल गांधी का मानना है कि देश में अनलॉक का फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब यहां कोरोना के मामले बेहद तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।
राहुल बजाज से की थी बात
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राहुल गांधी ने बजाज ऑटो के प्रबंध संचालक राजीव बजाज से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की थी। इसमें भी उन्होंने गरीबों के खाते में नकद हस्तांतरण की बात की थी। बजाज ने कहा था कि लोगों की सोच बदलने और जीवन को पटरी पर लाने की जरूरत है। इसमें लंबा समय लग सकता है। आम आदमी के नजरिए से लॉकडाउन काफी मुश्किल है। भारत जैसा लॉकडाउन कहीं नहीं हुआ।